निर्भया के दोषियों की फांसी पक्की, कल सुबह 05.30 बजे तिहाड़ जेल में दी जाएगी फांसी


नई दिल्ली. देश को दहला देने वाले  निर्भया केस (Nirbhaya Case)  के सभी चार दोषियों को शुक्रवार सुबह 05.30 बजे फांसी दी जाएगी. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार को दोषियों की याचिका खारिज की कर दी. दोषियों ने कई कोर्ट में लंबित दोषियों की याचिकाओं का हवाला देते हुए डेथ वारंट रद्द करने की मांग की थी. इसके साथ ही अब इन दोषियों के पास कोई भी कानूनी विकल्प नहीं बचा है.

अब तिहाड़ जेल में कल सुबह 5.30 बजे चारों दोषियों अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और विनय शर्मा को फांसी दी जाएगी. इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश सिंह की एक याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने पुलिस पर कुछ दस्तावेज छुपाने के आरोप लगाए थे. आपको बता दें कि कल (20 मार्च) को सुबह साढ़े पांच बजे निर्भया केस के चारों दोषियों को फांसी दी जाएगी.

सुनवाई के दौरान जस्टिस आर भानुमति ने कहा कि दोषी सारे उपाय पूरे कर चुका है. इसपर मुकेश के वकील एमएल शर्मा ने कहा कि मैं फांसी में देरी के लिए नहीं आया हूं. दोषी कानूनी ढांचे के अनुरूप अपने भाग्य को स्वीकार करने को तैयार है. लेकिन मैं उन दस्तावेजों पर गौर करना चाहता हूं जो मेरे लिए उपलब्ध नहीं कराए गए. शर्मा ने कहा कि ये दस्तावेज पुलिस ने उनसे छिपाए.

इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दस्तावेज ट्रायल का विषय हैं. एक बार ट्रायल प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद इस सब को आगे नहीं लाया जा सकता. शर्मा ने कहा मुझे मेडिकल दस्तावेज देखने हैं. इसपर कोर्ट ने कहा कि वो पहले हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने वकील एमएल शर्मा को कहा कि हम आपकी याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगे. वकील ने वारदात के समय दोषी मुकेश की कॉल डिटेल, मेडिकल रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज मंगाकर उनकी जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की गुहार लगाई.

दोषी पवन की याचिका भी खारिज
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज ही दोषी पवन की याचिका खारिज की है. पवन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक और कयूरेटिव पेटिशन दायर की थी जिसमें कहा गया था कि वारदात के समय वह नाबालिग था इसलिए उसकी फांसी की सजा ख़ारिज की जाए.  पवन ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में उसकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर की थी. यह कयूरेटिव याचिका ख़ारिज होना तय था, क्योकिं पवन की नाबालिग होने की दलील को सुप्रीम कोर्ट पहले ही ख़ारिज कर चुका है. यह याचिका जजों ने अपने चेंबर में सुनी थी जिसमें किसी तरफ़ का वकील जिरह के लिए मौजूद नहीं होता है. जज अपने पुराने फैसले के संदर्भ में यह देखते हैं कि दोषी कोई बहुत अहम क़ानूनी पहलू तो नहीं ले आया है जो कि कोर्ट में पहले जजों के सामने न रखा गया हो. इस मामले में सभी दोषी अपनी अपनी दलीलों को कई कई बार कोर्ट में रख चुके हैं जिन्हें कोर्ट ख़ारिज कर चुका है

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