पंजाब में अत्यावश्यक सामानों की आपूर्ति और दिल्ली रैली रोकने के प्रयास की कड़ी निंदा की किसान सभा ने

रायपुर.छत्तीसगढ़ किसान सभा ने पंजाब में खाद, कोयला और अत्यावश्यक सामानों की मालगाड़ियों द्वारा आपूर्ति रोके जाने और मोदी सरकार के कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे किसान संगठनों द्वारा 26-27 नवम्बर को आहूत दिल्ली रैली की अनुमति न दिए जाने की तीखी निंदा की है और कहा है कि मोदी सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति के खिलाफ किसान संघर्ष करेंगे और सरकार को अपना कृषि विरोधी कानून वापस लेने को बाध्य करेंगे।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि हरित क्रांति के दौर से ही पंजाब देश की खाद्यान्न सुरक्षा की रक्षा करता आया है और यही वह एकमात्र राज्य है, जहां पूरा गेहूं और धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है। लेकिन अब सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे पंजाब के किसानों का दमन करने के लिए अत्यावश्यक सामानों की आपूर्ति रोक रही है, जो उसकी बदले की भावना को ही दिखाता है, जबकि पंजाब के किसान केवल यात्री ट्रेनों को ही रोक रहे हैं। मोदी सरकार के इस तानाशाहीपूर्ण रूख के खिलाफ पूरे देश से राष्ट्रपति को मेल करके हस्तक्षेप करने की मांग की जा रही है। पंजाब के संघर्षरत किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भी आज राष्ट्रपति को मेल के जरिये ज्ञापन भेजकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया है।
उन्होंने बताया कि देश के 400 से ज्यादा किसान संगठनों ने 26-27 नवम्बर को इन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन और दिल्ली में अखिल भारतीय रैली आयोजित करने की घोषणा की है। लेकिन दिल्ली रैली की अनुमति देने से पुलिस इंकार कर रही है। दिल्ली पुलिस के ऐसे गैर-कानूनी प्रयासों का मुकाबला किया जाएगा और देश के कुसं अपना प्रतिरोध दर्ज करवा कर ही रहेंगे।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि कृषि-व्यापार करने वाली कॉर्पोरेट कंपनियों को खुश करने के लिए ही किसान विरोधी तीन कानून बनाये गए हैं, जिसमें किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने को भी सुनिश्चित नहीं किया गया है। किसान संघर्ष समन्वय समिति ने इस विषय पर कानून का जो प्रारूप तैयार किया था, उसे सरकार द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया। ठेका कानून और आवश्यक वस्तु अधिनियम के जरिये हमारे देश के किसानों और उपभोक्ताओं को प्राप्त सुरक्षा  की भी विदाई कर दी गई है। इसलिए पूरे देश के किसान पिछले दो महीनों से इन विनाशकारी कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और तब तक करेंगे, जब तक कि इन कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता।

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