पत्रकार कमल शुक्ल पर हमले की माकपा ने की निंदा, दोषियों की गिरफ्तारी और जिम्मेदार अधिकारियों के निलंबन की मांग

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने ‘भूमकाल समाचार’ के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ल पर आज पुलिस की मौजूदगी में कांग्रेसी गुंडों द्वारा किये गए जानलेवा हमले की कड़ी निंदा की है और इस हमले में शामिल दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी तथा इसके लिए जिम्मेदार उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों के निलंबन की मांग के साथ ही इन भ्रष्ट तत्वों को संरक्षण देने वाले मंत्री को भी हटाने की मांग की है।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि थाना परिसर के अंदर ही पुलिस की मौजूदगी में इन असामाजिक तत्वों द्वारा उनकी कनपटी पर पिस्तौल टिकायी गई है, उन्हें गाली-गलौच करते हुए घसीटकर बाहर लाया गया है और उनके गले में पेचकस घुसाकर जान से मारने का प्रयास किया गया है। इतना होने तक पुलिस के मूकदर्शक बने रहने से साफ है कि इन तत्वों को पुलिस और सत्ता का पूरा संरक्षण हासिल है।
उल्लेखनीय है कि कमल शुक्ल आदिवासी हितों के लिए संघर्षरत एक चर्चित पत्रकार है। पिछले भाजपा राज के समय भी सलवा जुडूम की ज्यादतियों को उजागर करने के कारण उन्हें सत्ता पक्ष का कोपभाजन बनना पड़ा है। पिछले कई वर्षों से वे पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग पर संघर्षरत है और चुनावों के समय कांग्रेस ने इस मांग को पूरा करने का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इस वादे को पूरा करने से मुकर रही है।
माकपा नेता ने कहा कि हमलावर कांग्रेसियों के साथ मंत्रिमंडल के एक नेता के घनिष्ठ संबंध है और यह मानने के पर्याप्त कारण है कि पूरा हमला सुनियोजित ढंग से किया गया है।पिछले कुछ दिनों से वे कांकेर में रहकर लॉक-डाउन के दौरान आम जनता को मिलने वाली सहायता में प्रशासन द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार, रेत खनन के नाम पर सत्ताधारी पार्टी के लोगों द्वारा किये जा रहे घोटालों और आदिवासी विकास योजनाओं के नाम पर हो रही लूट को उजागर कर रहे थे। इससे वे सत्ताधारी पार्टी के नेताओं, प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों और स्थानीय माफिया — तीनो के निशाने पर थे और इन तीनों का गठजोड़ ही इस हमले के लिए जिम्मेदार है। इस घटना से साफ है कि प्रदेश में जनहित के मुद्दों पर ईमानदारी से काम करने वाले पत्रकार पहले भाजपा राज में जितना असुरक्षित थे, उतना ही वे आज कांग्रेस राज में भी है।
माकपा ने कहा है कि इस घटनाक्रम का वायरल वीडियो हमलावरों की पहचान करने के लिए काफी है और इन्हें शीघ्र गिरफ्तार किया जाना चाहिए। पर्दे के पीछे सक्रिय दोषियों को भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए और इन असामाजिक तत्वों से सांठगांठ करने वाले प्रशासन के अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए। सरकार यदि ईमानदार होगी, तो वह ऐसे भ्रष्ट तत्वों को संरक्षण देने वाले मंत्री को भी हटाना पसंद करेंगी।

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