पाकिस्तान से जाम्बिया तक ‘गुलाम’, चीन के ‘चक्रव्यूह’ में फंस चुके हैं दुनिया के ये सभी देश
नई दिल्ली. पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना (Corona) से जूझ रही है. दुनिया जानती है कि चीन के वुहान से फैला ये वायरस किस तरह महामारी का रूप ले चुका है, लेकिन आज हम बात चीन के कोरोना वायरस की नहीं बल्कि उसके कब्जे वाली कर्जनीति की करेंगे. चीन दुनिया को अपने कर्जनीति से गुलाम बनाने की कोशिश में है. इसके जरिए चीन पहले छोटे देश को इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कर्ज देता है. उसे अपना कर्जदार बनाता है और फिर बाद में उसकी संपत्ति को अपने कब्जे में ले लेता है.
कोरोना काल में चीन की कर्जनीति से दुनिया के कई देश गुलामी की ओर बढ़ रहे हैं. अमेरिका, जर्मनी की कई शोध संस्थाओं ने चीन की इस कर्जनीति को लेकर बड़ा खुलासा किया है. सबसे पहले आप समझिए इन रिपोर्ट में क्या है…
जर्मनी की कील यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2000 से लेकर 2018 के बीच देशों पर चीन का कर्ज 500 अरब डॉलर से बढ़कर 5 ट्रिलियन डॉलर हो गई. आज के हिसाब से 5 ट्रिलियन डॉलर 375 लाख करोड़ रुपए होते हैं.
अमेरिका की हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की रिपोर्ट कहती है कि चीन की सरकार और उसकी कंपनियों ने 150 से ज्यादा देशों को 1.5 ट्रिलियन डॉलर यानी 112 लाख 50 हजार करोड़ रुपए का कर्ज भी दिया है. इस समय चीन दुनिया का सबसे बड़ा कर्ज देने वाला देश है. इतना कर्ज अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और वर्ल्ड बैंक ने भी नहीं दिया है. दोनों ने 200 अरब डॉलर यानी 15 लाख करोड़ रुपए का कर्ज दिया है.
डेट-ट्रैप डिप्लोमेसी
चीन की ये नई कूटनीति है. इसके जरिए चीन पहले छोटे देश को इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कर्ज देता है. उसे अपना कर्जदार बनाता है और फिर बाद में उसकी संपत्ति को अपने कब्जे में ले लेता है. चीन कर्ज के जाल में दुनिया के देशों को फंसाता जा रहा है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो दुनियाभर की जीडीपी का 6 प्रतिशत के बराबर कर्ज चीन ने दूसरे देशों को दिया है.
अमेरिका की हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की रिपोर्ट
2005 में चीन ने 50 से ज्यादा देशों को उनकी जीडीपी का 1% या उससे भी कम कर्ज दिया था, लेकिन 2017 के आखिर तक चीन उनकी जीडीपी का 15% से ज्यादा तक कर्ज देने लगा. इनमें से जिबुती, टोंगा, मालदीव, कॉन्गो, किर्गिस्तान, कंबोडिया, नाइजर, लाओस, जांबिया और मंगोलिया जैसे करीब दर्जन भर देशों को चीन ने उनकी जीडीपी से 20% से ज्यादा कर्ज दिया. इनमें पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका से लेकर कई अफ्रीकी देश शामिल हैं.
कर्ज देने में दुनिया में चीन पहली पसंद अफ्रीकी देश हैं. वजह है ज्यादातर अफ्रीकी देश गरीब और छोटे हैं. अक्टूबर 2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल के कुछ सालों में अफ्रीकी देशों ने चीन से ज्यादा कर्ज लिया है.
2010 में अफ्रीकी देशों पर चीन का 10 अरब डॉलर यानी करीब 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था, जो 2016 में बढ़कर 30 अरब डॉलर यानी 2.25 लाख करोड़ रुपए हो गया. अफ्रीकी देश जिबुती पर चीन का सबसे ज्यादा कर्ज है. जिबुती पर अपनी जीडीपी का 80% से ज्यादा विदेशी कर्ज है. जिबुती के कर्ज का 77% हिस्सा अकेले चीन का है.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और वर्ल्ड बैंक ने कई बार दुनियाभर की सरकारों को कर्ज की शर्तों को लेकर ज्यादा पारदर्शिता बरतने के लिए कहा है, क्योंकि ये साफ हो चुका है कि कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में चीन कर्जदार देशों पर दबाव बनाकर कई समझौतों के लिए मजबूर करता रहा है.