पाकिस्तान ने ‘टूरिज्म’ के बहाने भारत को बदनाम करने का रचा जाल
इस्लामाबाद. गले तक कर्ज में डूबा और दाने-दाने को मोहताज पाकिस्तान (Pakistan) भारत को बदनाम करने के लिए नई-नई चालबाजी करने से बाज नहीं आ रहा है. नापाक पाकिस्तान के हालिया शिगूफे में पसंदीदा टॉपिक कश्मीर को लेकर भारत को बदनाम करने के नए पैंतरे तलाशे जा रहे हैं. इसी मुहिम में इस्लामाबाद ने बुधवार को लाइन ऑफ कंट्रोल पर विदेशी पत्रकारों के दौरे का आयोजन किया.
विदेशी मीडिया के संवाददाताओं को इमरान खान की सरकार पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के पुंछ और चिरीकोट के टूर पर ले गई. विदेशी मीडिया के पत्रकारों के प्रतिनिधिमंडल के इस एलओसी टूरिज्म के आयोजन में उस अल जजीरा और सीसीटीवी जैसे मीडिया ग्रुप ने अगुवाई की जो भारत विरोधी एजेंडा चलाने के लिए पहले से बदनाम हैं.
विदेशी संवाददाताओं के इस जमावड़े का खर्चा उठाकर पाकिस्तान ने ये जताने की कोशिश की है कि सीमा पर होने वाले सीजफायर के उल्लंघन और सीमा पर दिख रहे तनाव के पीछे भारत का हाथ है. जबकि हकीकत ये है कि जुलाई 2020 तक पाकिस्तान ने जितनी बार सीजफायर तोड़ा शायद उतना पहले कभी नहीं किया होगा.
पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा पर मौजूद भारतीय गांवों को निशाना बनाने से बाज नहीं आ रही है. ताजा मामले की बात करें तो लगातार तीसरे दिन रिहाइशी इलाकों को निशाना बनाया गया. गुरुवार सुबह 11 बजे पाकिस्तान ने एक बार फिर सीजफायर तोड़ा ताकि भारत की जवाबी कार्रवाई के जरिए वो विदेशी मीडिया के सामने खुद को पीड़ित साबित कर सके.
पाकिस्तानी अखबारों के पन्ने विदेशी पत्रकारों द्वारा पाकिस्तान की तारीफ की खबरों से रंगे नजर आए, जिन्होने जाने-अनजाने अपने पत्रकारिता धर्म की आड़ में पाकिस्तानी सेना की तारीफ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. जाहिर है इसके पीछे भी चंद महीनों पहले तक दुनियाभर में मदद के नाम पर भीख का कटोरा लेकर घूमने वाले इमरान खान की सरकार ने बड़ी रकम खर्च की होगी, जैसा कि कुछ समय पहले उसने ब्रिटिश संसदीय दल को अपने खर्चे पर पीओके का टूर करवाया था.
ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम्स के पास वैध वीजा नहीं होने के चलते उन्हें भारत में दाखिल होने से रोका गया था. जिससे नाराज होकर डेबी ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री के साथ की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत पर कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन जैसे आरोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
खबरों के मुताबिक डेबी को इस कारनामें के लिए करीब 38 हजार 500 डॉलर का भुगतान किया गया था जो पाकिस्तानी मुद्रा में करीब 29 से 31 लाख रुपये के बराबर है. मजेदार बात ये है कि खुद ब्रिटिश संसदीय दल ने इस भुगतान की जानकारी दी थी.
ये घटनाक्रम इशारा करता है कि डेबी अब्राहम्स और उनकी टीम ने पाकिस्तान सरकार से 38,500 डॉलर लेकर भारत के खिलाफ जहर उगला. इससे पहले सितंबर 2018 में लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग ने डेबी से जुड़े एक संगठन को करीब 14 हजार यूरो देकर इस्लामाबाद और कश्मीर का दौरा करने का प्रस्ताव दिया था.
जब डेबी अब्राहम्स खुद इमरान सरकार से पैसे लेने की बात कबूल चुकी हैं तो वो खुद इस करतूत को कैसे जायज ठहरा सकती हैं. मतलब साफ है कि पाकिस्तान की सरकार अलग-अलग तरीके से भारत को बदनाम करने के लिए अब पत्रकारों का सहारा लेने से बाज नहीं आ रही है.