फिजियोथैरेपी में एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए राहत भरी खबर, पढ़े पूरी ख़बर

रायपुर. फिजियोथैरेपी में एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए राहत भरी खबर है। *Chandan kesari*  की मुहिम एक बार फिर रंग लाई है , दरअसल अब NEET में 76 अंक से कम प्राप्तांक वाले विद्यार्थियों फिजियोथैरेपी कोर्स में एडमिशन ले सकते है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से सैकड़ों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया । 1 महीने की एडमिशन प्रोसेस के दौरान उन्हें गुमराह किया गया न सिर्फ गुमराह किया गया बल्कि उन्हें फिजियोथैरेपी कोर्स में रजिस्ट्रेशन नहीं करने दिया गया…। अनेक विद्यार्थियों  की पहली प्राथमिकता फिजियोथैरेपी थी,किन्तु  ऐसे अनेक विद्यार्थी है, जिन्होंने अन्य कोर्स में एडमिशन ले लिया है। इस पूरे मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब विभाग की तरफ से डीएमई ने दिल्ली में NEET के अधिकारियों को लेटर लिखा और नीट में 76 अंक से कम प्राप्तांक विद्यार्थियों का Data मांगने का अनुरोध किया…। तब जाकर पता चला कि फिजियोथैरेपी कोर्स के लिए सभी विद्यार्थियों का डिटेल्स  दिया जा चुका है। 
टेक्निकल अज्ञानता के कारण  से परेशान हुए विद्यार्थी
NEET में प्राप्तांक 76 से कम अंक पाने वाले विद्यार्थियों को ऑनलाइन पंजीयन की पात्रता  चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा नहीं दी जा रही थी। वजह यह बताई जा रही थी कि दिल्ली से जो सीडी आई है उसमें 76 अंक से कम प्राप्तांक वाले विद्यार्थियों का नाम शामिल ही नहीं है। ऑनलाइन पंजीयन शुरु होने के 1 महीने बाद छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने दिल्ली में इस संदर्भ में अवगत कराया तो पता चला कि जिस Software  का  उपयोग अधिकारी कर रहे थे, उससे अपग्रेड वर्जन में उस डाटा को ओपन करने का निर्देश दिया  गया था, लेकिन अधिकारियों द्वारा ऐसा नहीं किया गया। और जिसकी वजह से पूरे विद्यार्थियों का नाम नहीं दिख रहा था, जिसका खामियाजा सैकड़ों छात्रों को भुगतना पड़ा।
चिकित्सा शिक्षा विभाग की इस गलती से न सिर्फ को सैकड़ों छात्रों का भविष्य अंधकार में डूबा बल्कि उन्होंने अन्य कोर्स में एडमिशन ले लिया है।  अब शायद नए वर्जन के सॉफ्टवेयर  से काम किया जा रहा है। अब जिन छात्रों के अंक 76 से कम हैं वे भी फिजियोथैरेपी में एडमिशन ले सकते है…..। किन्तु 76 अंक से कम वाले स्टूडेंट्स के साथ त्रासदी ये है कि उनका Cgdme के वेबसाइट में विभाग की गलती के कारण पंजीयन ही नही हो पाया है, जब तक चिकित्सा शिक्षा विभाग इन विद्यार्थियों का पुनः पंजीयन नही करेगी तब तक इनकी समस्या दूर नही होगी.

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