बुजुर्गों की सेहत को ऐसे प्रभावित करता है वायु प्रदूषण, करें ये उपाय तो रहेंगे सुरक्षित

वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण बुजुर्गों में सांस लेने में तकलीफ सहित कई समस्याएं बढ़ रही हैं। वायु प्रदूषण भारत में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। इस लेख में हम आपको वायु प्रदूषण का बुजुर्गों की सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताएंगे।

भारत सहित पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है। भोजन और पानी की तरह, ताजी हवा हर व्यक्ति की एक मूलभूत जरूरत है। स्वस्थ हवा में सांस न ले पाने के कारण वायु प्रदूषण भारत में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। हम जिस हवा में सांस लेते हैं, वह कारखानों, बिजली संयंत्रों, जलते कोयले, लकड़ी और वाहनों से निकलने वाले हानिकारक प्रदूषकों से दूषित होती है। दरअसल, इनडोर एयर आउटडोर की अपेक्षा 5 गुना अधिक प्रदूषित है। हवा की खराब गुणवत्ता सभी के लिए हानिकारक है, लेकिन

वायु प्रदूषण के कारण बुजुर्गों को कई तरह की गंभीर बीमारियां हो रही हैं। आइए जानते हैं वायु प्रदूषण बुजुर्गों की सेहत के लिए कैसे जानलेवा हो सकता है।

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बुजुर्गों पर वायु प्रदूषण का प्रभाव: बढ़ती उम्र के कारण बुजुर्गों के शरीर के कई अंग काफी धीमी गति से कार्य करते हैं। इसके कारण उनका फेफड़ा ताजी हवा को फिल्टर नहीं कर पाता है। यही कारण है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से बुजुर्गों को सांस से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती है। बुजुर्गों पर वायु प्रदूषण के अन्य प्रभाव के बारे में नीचे बताया गया है।

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सांस लेने में तकलीफ: वयस्कों की अपेक्षा बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है। इसके कारण उन्हें बीमारियां तेजी से पकड़ती हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को हवा में मौजूद हानिकारक प्रदूषकों से निपटने में कठिनाई होती है। इसके कारण बुजुर्गों को गंभीर अस्थमा और सांस लेने में तकलीफ की समस्या हो जाती है।

आंखों में परेशानी: बुजुर्गों को आंखों से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वायु प्रदूषण के कारण आंखों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। हवा में मौजूद धूल के कण से बुजुर्गों के आंखों की रोशनी धुंधली हो जाती है जिसके उन्हें देखने में परेशानी होती है। वायु प्रदूषण के कारण आंखों में खुजली, गले में खराश और त्वचा पर चकत्ते बुजुर्गों में होने वाली एक आम समस्या है।

हृदय पर प्रभाव: वायु प्रदूषण बुजुर्गों के हृदय पर भी असर डालता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, बुजुर्गों के हृदय की क्रिया धीमी होने लगती है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से रक्त का प्रवाह धीमा पड़ जाता है जिससे बुजुर्गों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

-आउटडोर एयर की अपेक्षा इनडोर एयर 5 से 10गुनी अधिक प्रदूषित होती है। बुजुर्गों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए घर में एयर प्यूरिफायर लगवाएं। यह हानिकारक प्रदूषकों को फिल्टर करता है जिससे घर की वायु शुद्ध होती है।
-घर के अंदर धूम्रपान न करें। इससे बुजुर्गों के फेफड़ों पर खराब असर पड़ता है और उन्हें सांस से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं।
-वायु को शुद्ध करने के लिए घर और आसपास एलोवेरा, गार्डन मम, स्पाइडर प्लांट, पीस लिली जैसे पौधे लगाएं। इससे बुजुर्गों को ताजी हवा मिलेगी।

चूंकि वायु प्रदूषण का प्रभाव बुजुर्गों पर सबसे अधिक पड़ता है इसलिए उन्हें सुरक्षित रखने के सभी उपाय करने चाहिए। साथ ही उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं होने पर तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

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