भारत में जीन थेरेपी पर गाइडलाइंस जारी, बढ़ती उम्र को रोकने समेत करेगी ये चमत्कार

नई दिल्ली. मेडिकल साइंस की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव का दावा करने वाली थेरेपी है जीन थेरेपी (Gene Therapy). इस थेरेपी के चमत्कारी परिणामों वाले दावे जितना कौतूहल जगाते हैं, उतने ही विवाद और एथिक्स भी इस थेरेपी के इस्तेमाल से जुड़े रहे हैं.
गंभीर बीमारियों और आनुवांशिक विकारों के इलाज के लिए किसी व्यक्ति के जीन में ही बदलाव करने को जीन थेरेपी कहते हैं. आसान भाषा में कहें तो इंसान जिस रॉ मटेरियल से बना है- उसी जीन यानी कोशिका में मौजूद सेल्स में बदलाव करके बीमारियों को ठीक करने की कला जीन थेरेपी कहलाती है.
जीन थेरेपी का इस्तेमाल कुछ रेयर बीमारियों और पैदाइशी बीमारियों के लिए किया जाता है. जैसे थेलेसीमिया जो कि एक ब्लड डिसऑर्डर है. सिकल सेल एनिमीया, खून से ही जुड़ा दूसरा डिसआर्डर, और मस्कुलर डिस्ट्राफी -यानी मांसपेशियों के सिकुड़ने की बीमारी. आमतौर पर ये वो बीमारियां हैं जिनके पूरी तरह इलाज दवाओं या सर्जरी से नहीं हो पाते. जीन थेरेपी बीमारी को जड़ से ठीख करने पर काम करती है क्योंकि वो मूल जीन में ही बदलाव करने में सक्षम है.
चमत्कारी दावे
वैसे जीन थेरेपी के जरिए चमत्कारी दावे भी किए जाते रहे हैं. जैसे- बढ़ती उम्र को रोक लेना, बढ़ती उम्र के साथ आंखों की रोशनी को कम होने से रोक देना, जीन थेरेपी से भ्रूण यानी बच्चे के पैदा होने से पहले ही उसकी बीमारियों का इलाज कर देना. अमेरिका और ब्रिटेन में लगभग दो दशकों से जीन थेरेपी पर काम हो रहा है. भारत में जीन थेरेपी पर जितनी भी रिसर्च और इलाज हो रहे हैं, उन पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं क्योंकि भारत में अभी तक जीन थेरेपी को लेकर सरकार की तरफ से स्थिति साफ नहीं रही.
गाइडलाइंस जारी कर दी
अब Indian council of medical research ने Gene therapy को लेकर गाइडलाइंस जारी कर दी है. जिसके तहत ये तय किया गया है कि जीन थेरेपी के तहत क्या किया जा सकता है और GTP यानी जीन थेरेपी प्रॉडक्ट किसे माना जाएगा. साथ ही जीन थेरेपी के इस्तेमाल से क्लीनिकल ट्रायल की मंज़ूरी भी ली जा सकेगी.
भ्रूण में जेनेटिक बदलाव पर पाबंदी
गाइडलाइंस के मुताबिक, इलाज के लिए किसी भी तरीके से न्यूकलिक एसिड का इस्तेमाल करने वाला ट्रीटमेंट जीन थेरेपी प्रॉडक्ट माना जाएगा. हालांकि भारत में भ्रूण में जेनेटिक बदलाव करने पर पाबंदी है. इसे germ line therapy कहा जाता है. भारत में सोमेटो जीन थेरेपी को मान्यता है. यानी बीमारियों वाले सेल पर काम करने और उनकी जेनेटिक एडिटिंग की पाबंदी है.
7 करोड़ लोगों को रेयर बीमारियां
ICMR के मुताबिक, भारत में तकरीबन 7 करोड़ लोग ऐसी रेयर बीमारियों से पीड़ित हैं जिनका इलाज मुश्किल या नामुमकिन है. CDSCO यानी Central Drugs Standard Control Organization ने ऐसी दवा को रेयर डिज़ीज़ ड्रग माना है जिस बीमारी से 5 लाख से कम लोग पीड़ित हों.
पिछले तीन साल में अमेरिका और ब्रिटेन ने कई जीन थेरेपी प्रॉडक्ट के इस्तेमाल को मंज़ूरी दी है. ये वो प्रॉडक्ट हैं जो ऐसी बीमारियों के इलाज पर काम करेंगे जो अब तक लाइलाज मानी जाती रही हैं. आईसीएमआर के मुताबिक, जीन थेरेपी का बाज़ार 2024 तक 250 बिलियन डॉलर का हो जाएगा. गाइडलाइंस के मुताबिक, इलाज के लिए किसी भी तरीके से न्यूकलिक एसिड का इस्तेमाल करने वाला ट्रीटमेंट जीन थेरेपी प्रॉडक्ट माना जाएगा. Gene Therapy Advisory and Evaluation Committee के तहत ही जीन थेरेपी, जीन थेरेपी पर रिसर्च, प्रॉडक्ट बनाने या मरीज़ पर उसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. इस कमेटी का मुख्यालय दिल्ली के आईसीएमआर में होगा.