मोदी सरकार द्वारा ”सेस” के माध्यम से राज्यों के राजस्व पर हमला

रायपुर. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता, पूर्व विधायक एवं आर्थिक विशेषज्ञ रमेश वर्ल्यानी ने आज यहॉं कहा कि देश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट के दौर में है। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार इस संकट से उबरने के उपाय तलाशने के बजाए, आर्थिक केंद्रीयकरण में जुटी हुई है। केंद्रीय बजट में ”कृषि एवं इंफ्रा सेस” इसी दिशा में उठाया गया कदम है। इस ”सेस” के माध्यम से राज्यों के राजस्व पर डाका डाला जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार में सारी सत्ता का केंद्र प्रधानमंत्री सचिवालय में केंद्रीत है। मोदी सरकार ने बिना विचार-विमर्श किए जिस ढंग से नोटबंदी की, फिर जी.एस.टी देश पर थोपी और कोरोना काल में बिना तैयारी के अचानक लाक-डाउन कर औद्योगिक उत्पादन ठप्प कर दिया, उसके दुष्परिणाम आज देश भोग रहा है। उन्होंने कहा कि देश में छाये आर्थिक संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार के पास कोई रोड-मेप नहीं है। केंद्र सरकार अब संवैधानिक संघीय व्यवस्था को तहस-नहस कर, देश के सभी राज्यों के राजस्व पर सेस के माध्यम से हमला कर रही है। वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में 25 वस्तुओं पर ”कृषि एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस” लगाने का फैसला किया है। जिसमें प्रमुख रूप से पेट्रोल पर दो रूपया पचास पैसा तथा डीजल पर चार रूपया प्रति लीटर है। केंद्र सरकार ने उच्चतम स्तर पर पहुॅंच चुके पेट्रोल-डीजल के मूल्य में बढ़ोत्तरी करने के बजाय, इस ”सेस” को एक्साइज ड्यूटी के माध्यम से ट्रांसफर कर लिया। केंद्र सरकार पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी रू. 31.50 और डीजल पर 32 रू.  लेती है। बजट में इसी एक्साइज ड्यूटी को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया। पेट्रोल पर मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी में रू. 2.50 और डीजल में 4 रू. कम कर उसे कृषि एवं इन्फ्रा सेस खाते में ट्रांसफर कर दिया। इसमें सबसे बड़ा खेल यह है कि केंद्र को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी, इनकम टैक्स आदि करों के कुल राजस्व में से 42ः  हिस्सा राज्यों को मिलता है। ”सेस” की राशि का हिस्सा राज्यों को नहीं मिलता। अब ”सेस” राज्यों को मिलने वाले राजस्व में कटौती का सबसे बड़ा हथियार बन गया है। इस प्रकार राजस्व का केंद्रीयकरण होने से केंद्र और राज्यों के वित्तीय संतुलन में खाई बढ़ती चली जाएगी।  वरिष्ठ प्रवक्ता श्री वर्ल्यानी ने आगे कहा कि केवल पेट्रोल-डीजल पर ”सेस” से छत्तीसगढ़ को केंद्रीय पुल में मिलने वाले राजस्व में 550 करोड़ रूपये की कमी हो जाएगी। केंद्र सरकार के इस कदम से राज्य की विकास योजनाएॅं गंभीर रूप से प्रभावित होंगी। उन्होंने भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और भाजपा के सांसदों से मांग की है कि क्या वे छत्तीसगढ़ के हितों की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए मांग करने का साहस दिखाएंगे ?

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