मौसम के साथ घटता-बढ़ता है ड्रॉपलेट्स का सफर, मास्क के बिना सोशल डिस्टेंसिंग बेअसर

कोरोना या सांस संबंधी किसी भी बीमारी का संक्रमण कब कम फैलेगा और कब इसके ज्यादा केस सामने आएंगे, इसमें मौसम का भी बड़ा रोल होता है। यहां जानेंं मास्क के बिना सोशल डिस्टेंसिंग क्यों इस वायरस के संक्रमण को नहीं रोक पाएगी…

ठंडे और नमी भरे वातावरण में खांसी और छींक के जरिए मुंह से निकलनेवाली महीन ड्रॉपलेट्स लंबी दूरी तक जा सकती हैं। गर्म और शुष्क मौसम में जहां ये ड्रॉपलेट्स मात्र 6 से 8 फीट की दूरी तय करती हैं, वहीं ठंडे और नमी से भरे वातावरण में ये ड्रॉपलेट्स 13 फीट से भी दूर तक जा सकती हैं। फिर भले ही इस दौरान हवा ना चल रही हो…

-खांसते और छींकते समय सांसों के जरिए मुंह से निकलनेवाली ड्रॉपलेट्स पर मौसम में हुए बदलाव को देखते हुए अमेरिका में की गई। इस रिसर्च को करने का मुख्य उद्देशय मौसम के हिसाब से किसी भी सांस संबंधी बीमारी के फैलने की संभावना का जानना है। यह रिसर्च हाल ही ‘Physics of Fluids’ जनरल में प्रकाशित हुई है। खास बात यह है कि अमेरिका में हुई इस रिसर्च को करनेवाले भारतीय मूल के वैज्ञानिक हैं।

-यह अपने आपमें ऐसा पहला मॉडल है जो केमिकल रिऐक्शन्स की कोलाइजन रेट थिअरी पर आधारित है और ड्रॉपलेट्स के प्रसार की गति को ध्यान में रखकर किया गया है। ताकि इस बात का सही-सही पता लगाया जा सके कि किसी मौसम में एक संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक इन ड्रॉपलेट्स के प्रसार का समय और गति क्या होती है।

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ठंडे और नमी भरे वातावरण अधिक फैलता है कोरोना संक्रमण

-इस रायायनिक प्रक्रिया का मूल इस बात पर निर्भर करता है कि दो मॉलेक्यूल्स एक दूसरे से टकराकर किस गति के साथ आगे बढ़ते हैं। ये मॉलेक्यूल्स एक दूसरे से जितनी जल्दी-जल्दी टकराएंगे उतनी ही तेजी से रिऐक्शन देखने को मिलेगा। ठीक इसी तरह एक संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले ड्रॉपलेट्स के संपर्क में जितने अधिक लोग आएंगे, संक्रमण उतनी ही तेजी से फैलेगा। यह कहना है इस स्टडी के ऑर्थर और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से जुड़े अभिषेक साहा का।

-शोधकर्ता का कहना है कि संक्रमित व्यक्ति से निकली ड्रॉपलेट्स कितनी दूरी तय करेंगी यह बात काफी हद तक मौसम पर निर्भर करती है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर से खांसी और छींके के जरिए निकली ड्रॉपलेट्स 8 से 13 फीट तक जा सकती हैं। ड्रॉपलेट्स की इस गति में हवा की गति को नहीं जोड़ा गया है। यानी अगर इन ड्रॉपलेट्स को हवा का साथ मिल जाए तो इनका सफर और भी लंबा होने की संभावना हो सकती है। उतने समय में जब तक कि इन ड्रॉपलेट्स का हवा द्वारा वाष्पीकरण (evaporation)नहीं कर दिया जाता है।

फिर दिखा मास्क का महत्व
-इस स्टडी से एक बार मास्क की उपयोगिता साफतौर पर सिद्ध हुई है। यानी अगर स्वस्थ व्यक्ति ने और संक्रमित व्यक्ति ने दोनों ने ही मास्क नहीं पहना है तो सोशल डिस्टेंसिंग का कोई लाभ नहीं होगा। क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग में भी व्यक्ति अधिक से अधिक 4 से 6 फीट की दूरी पर खड़े हो पा रहे हैं। ऐसे में सभी लोगों का मास्क पहनना कितना जरूरी है यह बात हम सभी समझ सकते हैं।

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