राम मंदिर के निर्माण में नहीं होगा लोहे का इस्तेमाल, जानें क्यों?
नई दिल्ली. अयोध्या (Ayodhya) में भगवान श्री राम (Lord Ram) के भव्य मंदिर का भूमि पूजन होने के साथ निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है. श्रीराम जन्मभूमि में बनने जा रहा राम मंदिर जिस तरह विवादों से निकलकर ऐतिहासिक हो गया, ठीक उसी तरह मंदिर का निर्माण भी ऐसा होगा कि सदियों तक पीढ़ियां इसकी गवाही देती रहेंगी. अब केंद्रीय भवन शोध संस्थान रुड़की (Central Building Research Institute CBRI रुड़की और IIT मद्रास (Indian Institute of Technology Madras) के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कम्पनी लार्सन एंड ट्रूबो ( Larsen & Toubro) के इंजीनियर (Engineer) भूमि की मृदा के परीक्षण (Soil Test) के कार्य में लगे हुए है.
ऐसी है तैयारी
मंदिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है. श्री रामजन्मभूमि मन्दिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से हो रहा है. ताकि भव्य मंदिर हजारों साल तक न केवल खड़ा रहे, बल्कि भूकंप, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि हम ऐसे जगहों को चिन्हित कर रहे हैं जहां से देश की जनता अयोध्या पहुंचकर मंदिर बनते हुए देख सकेगी. अयोध्या राम जन्मभूमि में बनने वाले राममंदिर को बनाने के लिए बंशी पहाड़पुर (Banshi Pahadpur Rajasthan)के उन पत्थरों का इस्तेमाल हो रहा है जो हजारों साल तक खराब नहीं होते. यानी कुछ नहीं तो, 1000-2000 साल तक कोई मंदिर को हिला भी नहीं सकेगा.
राम मंदिर की विशेषता
– राम मंदिर निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं होगा.
– 1200 खंभों के ऊपर की बिल्ड़िंग की मोटाई के लिए रिसर्च जारी.
– मंदिर को जोड़ने के लिए कॉपर की पत्तियों का इस्तेमाल होगा.