October 4, 2020
राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि के लिये महात्मा गाँधी के योगदानों को भुलाया नहीं जा सकता : वाजपेयी
रायपुर.विश्व के बापू, भारत के राष्ट्रपिता इन्दौर शहर में मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि के समारोह में उपस्थित हुए। गाँधीजी का विरोध का तरीका अहिंसात्मक, सत्याग्रह रहा है। गाँधीगिरी के अनुसार गाँधीगिरी से किसी भी काम को मनवाने में गाँधीजी आज भी प्रेरणा बने हुए है। महात्मा गाँघी के द्वारा राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
उक्त सारगर्भित उद्बोधन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के 151वें जयन्ती समारोह में विशिष्ट वक्ता हरेराम वाजपेयी(अध्यक्ष हिन्दी परिवार इन्दौर) ने वेबीनार के माध्यम से संबोधित करते हुए व्यक्त किये। विशिष्ट अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन शेख(राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पुणे) ने अपने वक्तव्य में कहा कि महात्मा गाँधी हिन्दी और खादी के प्रबल समर्थक रहे है। वे सच्चे समाज सुधारक एवं राष्ट्रभक्त थे।
मुख्य अतिथि श्रीमती आर्यामा सान्याल(निदेशक, विमानपत्तन इन्दौर) ने अपने विचार में कहा कि गाँधीजी ने कहा मेरा जीवन मेरा संदेश। अष्टप्रश्यता, उपवास, अहिंसा समर्थन ऐसे गांधी को नमन। जो सूर्य की भांति अपनी रोशनी से पुरे जग को जगमगा रहे है। इसी तरह अहिंसा के प्रबल समर्थक शास्त्रीजी ने जय जवान-जय किसान का जो नारा दिया था, जो देश को जोड़ता है। गजब के आत्मबल के धनी शास्त्रीजी को प्रणाम।
प्रमुख अतिथि पोलेण्ड के डॉ. सुधांशु शुक्ला ने कहा कि गाँधी कल भी, आज भी और भविष्य में भी प्रासंगिक रहेंगे। सम्पूर्ण विश्व में गांधीजी का सम्मान है। जिन्होंने भगवत् गीता एवं रामचरित मानस का स्वाध्याय करके संसार को सत्य के मार्ग पर चलने का आव्हान किया। जापान की विदुषी डॉ. रमा शर्मा ने गांधीजी के विचारों की कवितामयी प्रस्तुती दी। मुख्य वक्ता एवं विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि गांधीजी का आदर्श हमाने जीवन में आमुलचूल परिवर्तन कर सकता है। हमारा जीवन सादगीपूर्ण, अहिंसक एवं सभी सुखी हो तभी हम प्रगति कर सकते है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए ब्रजकिशोर शर्मा ने बताया कि सत्य का आचरण ही मानव से महामानव बना जा सकता है। गांधीजी के विचारों से प्रेरित होकर विदेशो में भी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये अहिंसात्मक आंदोलन हुए। गांधीजी का जीवन सकारात्मक रहा है। समारोह के संयोजक डॉ. प्रभु चौधरी(महासचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना) ने कहा कि गांधीजी की रामराज्य की अवधारणा थी जिसमें समाज के अंतिम पंक्ति का व्यक्ति भी सुखी हो। मानवीय मूल्यों को समर्पित जीवन गांधीजी की आत्मकथा में सत्य को सर्वोपरि बताया है। वेबीनार में डॉ. शम्भू पंवार झुंझुनु, डॉ. भरत शेणकर अहमदनगर, डॉ. मुक्ता कौशिक रायपुर,डॉ. जी. डी. अग्रवाल इन्दौर, श्वेता गुप्ता कलकत्ता एवं श्रीमती लता जोशी मुम्बई ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर अनील ओझा, डॉ. आशीष नायक, निक्की शर्मा, आभा श्रीवास्तव, डॉ. शिवा लोहारिया, डॉ. जय भारती चन्द्राकर, ममता झा, मनीषा सिंह, निरूपा उपाध्याय, डॉ. बालासाहेब, जितेंद्र कुमार रत्नाकर डॉ. समीर सैय्यद उपस्थित रहे। डॉ. रोहिणी डावरे ने सुमधुर महात्मा गांधी एवं हिन्दी के संदर्भ में गीत प्रस्तुत किया। कवितामय संचालन राष्ट्रीय उपमहासचिव रागिनी शर्मा एवं आभार संयोजक डॉ. प्रभु चौधरी ने माना।उक्त जानकारी छत्तीसगढ़ प्रदेश सचिव जितेंद्र कुमार रत्नाकर ने दिया,