लॉकडाउन में हजारों प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक सकुशल पहुंचाने वाली निजी बसों के मालिकों का 80 लाख रुपए दबाए बैठा है प्रशासन

बिलासपुर. कोविड-19 के संक्रमण काल की शुरुआत में दूसरे प्रदेशों से आने वाले छत्तीसगढ़ के और खासकर बिलासपुर के हजारों प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक सकुशल पहुंचाने के काम में दिन-रात लगी जिले की 60 से 70 बसों के मालिक आज भी अपने किराए भाड़े के पैसों के लिए प्रशासन के आगे नाक रगड़ने को मजबूर हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा देश के विभिन्न जगहों में कमाने खाने के लिए गए छत्तीसगढ़ के लाखों श्रमिकों को कोविड-19 संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन के बावजूद उनके घरों तक वापस सकुशल पहुंचाने के लिए अकेले बिलासपुर जिले में ही 60 से सत्तर निजी बसों को अधिकृत किया गया था। तकरीबन 2 माह तक इन निजी बसों के मालिकों ने अपने ही ड्राइवर कंडक्टर से मिन्नतें कर इन श्रमिकों को बिलासपुर रेलवे स्टेशन तथा विभिन्न स्थानों से लाकर उनके गांव घर तक सकुशल पहुंचाया था। लेकिन अब उन्हीं बसों के मालिकों को बस के बकाया किराए के भुगतान के लिए प्रशासन के आगे नाक रगडना पड़ रहा है। और प्रशासन उनका भुगतान करना तो दूर.. आरटीओ के जरिए उनके साथ धमकी चमकी पर उतर आया है। जैसी की जानकारी मिली है बिलासपुर में 60 से 70 निजी बसों को प्रवासी श्रमिकों के घर वापसी के काम में लगाया गया था। इन बसों का लगभग 80 लाख रुपया किराए का भुगतान अभी तक प्रशासन ने उन्हें नहीं दिया है। जबकि प्रशासन ने इन बस मालिकों पर दबाव डालकर lock-down के काल का ड्राइवर कंडक्टर और हेल्पर समेत तमाम कर्मचारियों के वेतन का भुगतान उनकी अपनी जेब से करवा दिया है। प्रशासन ने साफ कर रखा था कि पहले बस मालिक अपने ड्राइवर कंडक्टर और हेल्पर के lock-down अवधि का वेतन और पारिश्रमिक का संपूर्ण भुगतान उन्हें प्रदान करें।उसके बाद इस आशय का एफिडेविट प्रशासन के पास जमा करें कि उन्होंने लॉकडाउन काल के तमाम ड्राइवर कंडक्टर और हेल्पर समेत सभी कर्मचारियों का पूरा भुगतान कर दिया है। इसके बाद ही प्रशासन के द्वारा बस मालिकों को ऑपरेशन प्रवासी श्रमिक वापसी के काम में लगी बसो के किराए भुगतान करने की बात कही गई थी। लिहाजा बस मालिकों ने अपनी जेब से चार-पांच माह का ड्राइवर कंडक्टर और कर्मचारियों का बकाया वेतन भुगतान कर संबंधित विभाग को इस बाबत एफिडेविट भी प्रदान कर दिया। लेकिन बावजूद इसके आज 4 माह बाद भी प्रशासन के द्वारा बस मालिकों को उनके किराए के बकाया लगभग 80 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया जा रहा है। बिलासपुर के आरटीओ भुगतान करने की बजाय भुगतान मांगने वाले बस मालिकों को चमकाने धमकाने और परिणाम भुगतने की धमकियां दे रहे हैं।जाहिर है कि लॉकडाउन के दौरान बसों के बंद रहने से बस मालिकों की हालत दिवालिया सी हो चुकी है। अभी भले ही बसें नाम मात्र को जरूर चल रही हैं। लेकिन उनसे कमाई धमाई तो दूर..नून तेल का खर्चा पानी भी नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में प्रशासन और खासकर जिले के अगुवा कलेक्टर तथा आरटीओ को इस ओर विशेष ध्यान देकर बस मालिकों के बकाया राशि का ससम्मान भुगतान अविलंब करना चाहिए। ऐसा ना होने पर अनेक बस मालिक दिवालिया घोषित हो सकते हैं। वहीं शासन और प्रदेश सरकार की छवि भी, प्रशासन के इस रवैया से खराब हो सकती है।