वैलेंटाइन डे का विरोध के चक्कर में शहीदों एवं महापुरुषों का अपमान न करें : अनंत थवाईत

चांपा. धर्म और संस्कृति की दुहाई देते हुए लोग वैलेंटाइन डे का विरोध करें ये उनकी मर्जी लेकिन वैलेंटाइन डे का विरोध करते करते भावना में बह कर देश के शहीदों एवं महापुरुषों का अपमान न करें। उक्त बातें नगर के साहित्यकार अनंत थवाईत ने कही। उन्होंने आगे कहा कि विगत कुछ वर्षों से देश में जहां एक ओर वैलेंटाइन डे मनाने का चलन तेजी से बढ़ा है वहीं दूसरी ओर भारतीय संस्कृति की रक्षा की दुहाई देते हुए वैलेंटाइन डे का व्यापक विरोध भी होने लगा है । प्रेमोत्सव दिवस के रुप में प्रचलित इस पाश्चात्य संस्कृति का समर्थन करना और विरोध करना अपनी जगह है लेकिन वैलेंटाइन डे को देश के किसी महापुरुष या क्रांतिकारियों की जयंती या शहादत से जोड़ कर विरोध करना एक प्रकार से शहीदों का अपमान है ।
अनंत थवाईत ने आगे कहा कि वास्तव में हमारे यहां मधुमास के मौसम में यानि जनवरी फरवरी में बसंतोत्सव या मदनोत्सव मनाने की प्राचीन परंपरा रही है । लेकिन आधुनिकता के लबरेज से सराबोर हो चौदह फरवरी को  वैलेंटाइन डे मनाने का प्रचलन बढ़ता गया । जैसे जैसे वैलेंटाइन डे का प्रचलन बढ़ा वैसे वैसे इसके विरोध में या यूं कहें कि इसका प्रभाव कम करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होने लगे कई स्थानों पर वैलेंटाइन डे के दिन मातृ-पितृ दिवस मनाने का कार्यक्रम चल पड़ा है यहां तक तो ठीक है लेकिन कई लोग वैलेंटाइन डे का विरोध करने की भावना में इस तरह डुब जाते हैं और फिर इस दिवस को क्रांतिकारियों की जयंती या शहादत से जोड़ते हुए वैलेंटाइन डे का बहिष्कार करने की अपील करते हैं जो सरासर ग़लत है। अनंत थवाईत ने वैलेंटाइन डे का विरोध करने वालों से अनुरोध किया है कि वैलेंटाइन डे का विरोध करने वाले करें पर विरोध की भावना में बह कर वैलेंटाइन डे को देश के महापुरुषों एवं शहीदों से जोड़कर उनका अपमान न करें।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!