सपा सांसद का बेतुका बयान, बोले- कोरोना बीमारी नहीं, अल्लाह दे रहे पापों की सजा


संभल. उत्तर प्रदेश के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क (Doctor Shafiqur Rahman Barq) ने कहा कोरोना वायरस (Coronavirus) कोई बीमारी नहीं है बल्कि अल्लाह हमारे गुनाहों की हमें सजा दे रहा है. दरअसल तीन दिन पहले इंटरनेट पर उनका एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वो ये बात कहते हुए दिख रहे हैं. शफीकुर्रहमान ने फिर से कहा कि अल्लाह से माफी मांगना ही कोरोना से बचने का सबसे अच्छा तरीका है, अल्लाह माफ करेगा तभी हम कोरोना से बच पाएंगे.

उन्होंने ईद उल जुहा पर नमाज अदा करने को लेकर भी अजीबो-गरीब बयान दिया है. डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा है कि ईद उल जुहा के मौके पर मस्जिदों और ईदगाह में मुस्लिमों की सामूहिक नमाज पर पाबंदी लगाना गलत है. सरकार मस्जिद और ईदगाह में मुस्लिमों के नमाज करने पर लगी पाबंदी को हटाए क्योंकि जब देश के सभी मुस्लिम मस्जिदों में नमाज पढ़ेंगे तभी ये मुल्क बचेगा. डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क ने ये दावा भी किया है कि जब तक देश के सारे मुस्लिम मस्जिदों में नमाज अदा नहीं करेंगे तब तक कोरोना महामारी को नहीं भगाया जा सकता है.

एसपी सांसद ने साफ तौर पर धमकी देते हुए कहा कि मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से कोई भी नहीं रोक सकता है. शफीकुर्रहमान बर्क ने ईद उल जुहा के मौके पर लगने वाले पशुओं के बाजार पर पाबंदी के लिए भी जिला प्रसासन से भी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि ईद उल जुहा मुस्लिमों का बड़ा त्यौहार है, जब मुस्लिम
जानवरों की खरीदारी नहीं कर सकेंगे तो त्यौहार कैसे मनाएंगे इसीलिए जिला प्रसासन जानवरों के बाजार के खोलने पर लगी पाबंदी हटाए.

दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी के संकट के चलते प्रदेश की सभी मस्जिदों में सामूहिक नमाज पर पाबंदी लगा रखी है. मस्जिदों में सिर्फ 5 लोगों को ही नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है जिसको लेकर संभल में समाजवादी पार्टी के सांसद डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क प्रदेश सरकार और जिला प्रसासन से खासे नाराज हैं.

बीते शुक्रवार को एसपी सांसद ने कई मौलाना और मुस्लिम नेताओं के साथ जिले के डीएम अविनाश कृष्ण सिंह और एसपी यमुना प्रसाद से मुलाकात करके ईद उल जुहा के मौके पर मस्जिदों और ईदगाह पर सामूहिक नमाज की अनुमति की मांग की थी. जिसे डीएम अविनाश कृष्ण सिंह ने प्रदेश सरकार के आदेश का हवाला देते हुए शासन के किसी आदेश के बिना किसी भी तरह की अनुमति देने से इंकार कर दिया था.

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