सिख विधवा महिला को जबरन भारत न भेजने के समर्थन में आए हजारों लोग


लंदन. ब्रिटेन में करीब 10 साल से रह रहीं और यहीं अपना घर बना चुकीं एक बुजुर्ग सिख विधवा महिला को जबरन भारत नहीं भेजने के लिए ऑनलाइन याचिका शुरू की गई है जिस पर अब तक करीब 62 हजार लोग दस्तखत कर चुके हैं. गुरमीत कौर सहोता (75) वर्ष 2009 में ब्रिटेन आई थीं और वेस्ट मिडलैंड के स्मेथविक में तब से रह रही हैं.

पंजाब और ब्रिटेन में नहीं रहता गुरमीत का परिवार
कानूनी तौर पर वह बिना दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी किए देश में रहने वाली प्रवासी हैं और आव्रजन नियमों के तहत उनके भारत वापस भेजे जाने के आसार हैं, भले ही वहां उनके परिवार का कोई सदस्य नहीं है भारत में कोई नहीं होने के तथ्य ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और स्मेथविक का स्थानीय समुदाय उनके समर्थन में आया. ब्रिटेन के गृह विभाग और ब्रिटिश संसद को संबोधित ‘चेंज डॉट ओरआजी’ पर शुरू ऑनलाइन याचिका में कहा गया, ‘‘गुरमीत का ब्रिटेन में कोई परिवार नहीं है न ही पंजाब में कोई परिवार है, इसलिए स्मेथविक के सिख समुदाय ने उन्हें अंगीकार किया है.

ब्रिटेन में रहने के लिए गुरमीत ने किया था आवेदन
गुरमीत ने ब्रिटेन में रहने के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे यह तथ्य जानते हुए अस्वीकार कर दिया गया कि भारत (पंजाब) में उनका कोई परिवार नहीं है.’’ दुभाषिये के जरिये सहोता ने ‘बर्मिंघम लाइव’ से कहा कि अगर उन्हें भारत वापस जाना पड़ा तो उनके लिए कोई जगह नहीं है क्योंकि वहां उनका कोई परिवार नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘वहां वापस जाकर अकेले रहने पर अकेलापन और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर भयभीत हूं.

स्मेथविक को अपना परिवार मानती हैं गुरमीत
स्मेथविक मेरा असली घर है, यह वह स्थान है जहां मैं समुदाय के लिए काम करती हूं.  यह वह स्थान है जिसे मैं जानती हूं और जहां के लोगों को प्यार करती हूं और वे मेरे परिवार के सदस्य बन गए हैं.’’इस बीच, गृह विभाग को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि वह कैसे कानूनी तौर पर ब्रिटेन में रहने के लिए आवेदन कर सकती हैं.

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