हर्बल रथ बांट रहा निःशुल्क पौधे आमजनों में औषधि पौधों के प्रति उत्साह एवं जागरूकता आ रही है : निर्मल अवस्थी

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादक बोर्ड रायपुर के सहयोग से परम्परागत वनोंऔषधि परिशिक्षत वैध संघ छत्तीसगढ़ द्वारा औषधीय पौधों का ज्ञान स्वस्थ जीवन की पहचान के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। पर्यावरण सरंक्षण एवं जीवन दयनीय वनोऔषधियो के महत्व उपयोगिता की जानकारी देकर औषधिय पौधो की सरल व सहज उपलब्ध से लोग उत्साहित हो रहे है ।
होम हर्बल गार्डन योजना के समंवयक निर्मल अवस्थी से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में जारी हेल्पलाइन नंबर से अभिवक राज्य में 53418 लोगो ने कॉल कर पौधे मंगाए है । उन्होंने बताया कि स्कूल महाविद्यालय के छात्र- छात्राओं का सहयोग लिया जा रहा है । ताकि औषधियों पौधे घर घर पहुंच सके बिलासपुर , रायपुर, कोरबा ,जांजगीर- चापा, राजनांदगांव , कबीरधाम , दुर्ग , एवं अन्य जिलों में 18 प्रकार की औषधीय प्रजातियों का वितरण किया जा रहा है ।
श्री अवस्थी ने बताया कि आम जन मानस में औषधीय पौधों के प्रति उत्साह एवं जागरूकता आ रही है क्योंकि इन पौधों को गमलो में आसानी से लगाया जा सकता है । उन्हें ने कहा कि इस वर्ष 2 लाख गिलोय लगाने का लक्ष्य रखा गया है । क्योंकि गिलोय का पौधों को आसानी से लगाया जा सकता है । और यह लता है । जो किसी के सहारे चढ़ जाती है । यह पौधों में सिकल सेल एनीमिया, स्वाइन फ्लू , मलेरिया , पीलिया , मधुमेह के साथ – साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखता है । इसी लिए इस वर्ष 2 लाख लोगों तक यह पौध पहुँचाना है। जिसका प्रयास जारी है । भारत माता स्कूल में आज छात्र-छात्राओ को संबोधित करते हुए श्री अवस्थी ने कहा कि हम अपने जीवन की स्वास्थ समस्या का हल इन औषधीय पौधों को लगा कर व उपयोग कर पूरी स्वास्थ जिंदगी जी सकते हैं यह प्रकृति का अनुपम उपहार है । जिसे संरक्षित रखना हमारा कर्तव्य व धर्म हैं । यह जीवन दानीय औषधिय है तभी मानव जीवन सुरक्षित व स्वास्थ्य रह सकेगा । होम हर्बल गार्डन योजना छत्तीसगढ़ राज्य शासन की महत्वकांक्षी योजना है । जिसे स्वीकार कर सहभागी बनना है। और सहयोग करना है। इस वर्ष औषधीय प्रजातीयो में ब्राह्मी का पौधा जिसे हिमाचल से लाकर बढ़ाया गया है । जो मानसिक व अवसेड के साथ – साथ याददास्त एवं निंद्रा रोग के लिए कारगर औषधिय गुणो परिपूर्ण है । ब्राह्मी आसानी से लग जाती है । और इस पौधों की मांग बहुत है । ब्राह्मी गिलोम के साथ साथ गुड़मार, अश्वगंधा , अडूसा ,सतावर , निगुण्डी , एलोबेरा , केककंड , स्टीविया आदि के 18 औषधीय प्रजातियों का वितरण एवं उपयोग को जानकारी हेतु निःशुल्क मार्गदर्शन पुस्तिका भी दी जा रही है। अभी तक बिलासपुर जिले में 48 हजार लोगों तक यह योजना का लाभ मिल चुका है । और प्रतिदिन हर्बल रथ शहर एवं गांव में जा रहा है । यह औषधीय पौधे महिला स्वसहायता समूहो के सहयोग से वन के निकट गाँव से तैयार किया गया है । जिससे इन के औषधीय गुण अधिक मांग में है । जो आम लोगों के उपयोग हेतु सहायक होगा ।