हस्त निर्मित गोबर के दियो से दिव्यांग कर रहे प्रदेश को रोशन

रायपुर. राजधानी के नवयुग दिव्यांग समूह एवं छत्तीसगढ़ की बेटी के नाम से प्रसिध्द प्रियंका बिस्सा द्वारा ऑर्गेनिक गोबर के दिया ने अनोखी मिसाल कायम किया है । कोरोना महामारी के कारण समूह के सदस्यों को आर्थिक रूप से भारी छती पहुंची ऐसे में सदस्यों ने आपस में पैसे जमा कर राशन की व्यवस्था किया ।

इस समूह द्वारा विगत वर्षों से हस्त निर्मित विभिन्न वस्तुओं को तैयार कर स्वरोजगार किया जाता है । लॉकडाउन के दौरान यह काम भी रुक गया तब राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रियंका बिस्सा ने प्रदेश के नामी समाज सेवियों से संपर्क किया ताकि रोजगार पुनः आरंभ किया जा सके लेकिन किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिली । हार ना मानते हुए प्रियंका बिस्सा ने स्वयं ही प्रयोग किए और गोबर दिया बनाने की विधि तैयार कर मूर्तिकार राकेश पुजारी के साथ समूह को प्रशिक्षण दिया। 500 दिया से शुरुवात कि और 10,000 हजार दिया तैयार करने में गोबर छेना का पाउडर दृष्टिबाधितों द्वारा तैयार किया गया एवं अन्य समाग्री, सजावट और पैकिंग मुख्य रूप से दिव्यांग समूह के सदस्य सीमा, सुरेखा,गिरिजा जलछत्री , राजनंदनी, कमल राजपूत, तुलसी, हरीश, शेखर, जितेंद्र द्वारा किया गया ।  गिरिजा जलछत्री ने बताया कि हम समाज में सशक्तिकरण को स्वरोजगार के माध्यम से आगे बढ़ा रहे है।

विशेष जानकारी देते हुए प्रियंका बिस्सा ने बताया बूढ़ा तालाब स्थित गार्डन में नवयुग दिव्यांग समूह का स्टॉल लगाया गया है जहां हस्त निर्मित गोबर के दिया , बाती के साथ दीवाली की सजावट के अन्य समान भी उपलब्ध है। इसके अतरिक्त भगत सिंह चौक पर भी स्टॉल लगाया गया है। अन्य कोई भी जानकारी के लिए www.priyankabissa.com पर सम्पर्क कर सकते है । समूह द्वारा बनाया गए दियो को ना केवल प्रदेश बल्कि अन्य राज्यों में भी भेजा जा रहा है ।
दिव्यांग वह नहीं जो तन से हारा है
दिव्यांग तो वह है जो मन से हारा है
है उनका हौसला अद्भुत और अटल
वह हर रूप में है संपूर्ण और सक्षम! -प्रियंका बिस्सा , यह उन सभी के लिए संदेश है जिन्होंने किसी भी कारण वश हमे ” बेसहारा, निशक्त एवं कमजोर” जैसे शब्द कहे ।

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