7 साल की उम्र में मिली धोनी से प्रेरणा और प्रोफेशनल क्रिकेटर बन गए मोक्ष मुरगई


नई दिल्ली. कुछ सालों में भारत क्रिकेट के लीडर बोर्ड में एक टॉप देश के रूप में उभरा है. इस मुल्क ने खेल के कई दिग्गजों को जन्म दिया है जिन्होंने दुनिया भर में नाम कमाया है. यहां कई यंग टैलेंट को अपने देश के लिए खेलने का मौका मिल रहा है, लेकिन कई प्रतिभाशाली युवा अभी भी अपनी असली जगह पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. इन में से एक दिल्ली के क्रिकेटर मोक्ष मुरगई (Moksh Murgai) हैं, जो पेशेवर राज्य स्तर के खिलाड़ी बनने के लिए जी जान लगा रहे हैं. वो भी जर्सी पहनने और दुनिया को अपना हुनर दिखाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

7 साल की उम्र में पकड़ा बैट
इस युवा खिलाड़ी ने 7 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलने की शुरुआत की और 13 सालों में एक लंबा सफर तय किया है. मोक्ष ने साल 2018 में लखनऊ के एक टूर्नामेंट में भारत को रिप्रेजेंट  किया है और रणजी रेलवे कैंप के साथ-साथ अंडर-23 रेलवे कैंप का भी हिस्सा रहे है. मोक्ष ने कई कैटेगरी में राष्ट्रीय स्तर की भूमिका निभाई है  (सब जूनियर, जूनियर और सीनियर्स), उन्होंने इंटरजोनल (जिला) और जोनल स्तर की क्रिकेट भी खेली है. मुरगई दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट हैं. वो DUSU (दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ) 2019-20 के खेल अध्यक्ष हैं.

मोक्ष के शानदार रिकॉर्ड्स
जब उनके स्कोर के बारे में बात की जाती है, तो उन्होंने हर मैच में शानदार प्रदर्शन किया है. पिछले सीजन में उन्होंने 1200 रन बनाए थे. और साल 2018 डीडीसीए लीग में भी उन्होंने 850 रन बनाए और ऑफ स्पिनर के रोल में उन्होंने 20 विकेट लिए. मोक्ष ने 30 से ज्यादा शतक और 50 से ज्यादा अर्धशतक भी अपने नाम किए हैं. अपनी कड़ी मेहनत और हिम्मत के दम पर उन्हें 2019-20 के लिए एसएच स्पोर्ट्स, मेरठ से एक स्पॉन्सर मिला है. मोक्ष ने 7 साल की उम्र में एमएस धोनी (MS Dhoni) को खेलते हुए देखा और वहीं से क्रिकेटर बनने की प्रेरणा मिली.

चोट का असर नहीं
एक खिलाड़ी की जिंदगी में चोट उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से नहीं रोक सकती, ऐसा मोक्ष का मानना है. साल 2019 में पीठ की चोट ने उन्हें लगभग 6 महीने तक क्रिकेट से दूर रखा लेकिन उन्होंने खुद को ज्यादा से ज्यादा खेलने और अपने सपने के प्रति ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित किया. चैंपियन जल्द ही इस चोट से उबर गया और ज्यादा रिकॉर्ड्स बनाने के लिए और अधिक उत्साह के साथ मैदान पर वापस आया. मोक्ष का जीवन मंत्र है कि ‘तब तक मेहनत करना है जब तक कि आप अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेते.’

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