आदिवासियों के लिए 32 प्रतिशत आरक्षण की बहाली को लेकर किया कलेक्ट्रेट का किया घेराव

बिलासपुर. अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण को कम किए जाने के मुद्दे पर राज्य सरकार द्वारा सही पक्ष न रखे जाने व जिलों में मौजूदा भर्तियों में आरक्षण कम किए जाने को लेकर सर्व आदिवासी समाज सरकार के खिलाफ सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन करेगा। ज्ञापन सौंपने आए सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष शिव चेचाम ने कही की राजधानी रायपुर में एक दिवसीय घेराव और आंदोलन किया जाएगा।
ज्ञापन सौंपने आए समाज के लोगों ने अपनी मांग को लेकर कही की छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाईकोर्ट के फैसले से प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान (मेडिकल, इंजीनियरिंग, विधि, एवं उच्च शिक्षा) में एवं नए भर्तियों में आदिवासियों को बहुत नुकसान हो जाएगा. राज्य बनने के साथ ही 2001 से आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण मिलन था। परंतु नहीं मिला. केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के द्वार जारी 5 जुलाई 2005 के निर्देशनुसार जनसंख्या अनुरूप आदिवासी 32त्न एस सी 12त्न एवं ओबीसी के लिए 6त्न सी और डी क्लास के पदों के लिए आरक्षण जारी किया गया था।छत्तीसगढ़ शासन को बार बार निवेदन, आवेदन और आंदोलन के बाद आरक्षण अध्यादेश 2012 के अनुसार आदिवासियों को 32त्न एस सी को 12त्न एवं ओबीसी को 14त्न आरक्षण दिया गया। अध्यादेश को हाईकोर्ट में अपील किया गया। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा सही और उचित तथ्य नहीं रखने से हाईकोर्ट ने आरक्षण अध्यादेश 2012 को अमान्य कर दिया।
अभी तक छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कोई प्रभावी पहल आदिवासियों के लिए नहीं गया है। इसके विपरीत छत्तीसगढ़ शासन सभी नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में आदिवासियों के लिए दुर्भावनापूर्ण आदेश जारी करने लगा है। छत्तीसगढ़ में दो तिहाई भूमि पाँचवी अनुसूची के तहत अधिसूचित है, जहां प्रशासन और नियंत्रण सामान्य वर्ग से भिन्न होगा। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जनसंख्या 70त्न से लेकर 90त्न से ज्यादा है। और बहुत ग्रामों में 100त्न आदिवासियों की जनसंख्या है। अनुसूचित क्षेत्रों में ही पूरी संपदा (वन, खनिज, बौद्धिक) है।छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनितिज रूप से पिछड़ा हुआ है। संवैधानिक प्रावधान के बाद भी आदिवासी बाहुल्य पिछड़े प्रदेश में आदिवासियों को आरक्षण से वंचित करना प्रशासन की विफलता और षडयंत्र है। छत्तीसगढ़ में आरक्षण के लिए आवेदन के साथ लोक तान्त्रिक तरीके से 15 नवंबर को राजधानी रायपुर में आंदोलन करने के लिए समाज बाध्य होगा।
साथ ही आदिवासी समाज की आवश्यक मांगे
पेसा अधिनियाम में ग्रामसभा का अधिकार कम ना किया जाए। बस्तर और सरगुजा में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की भर्ती शत प्रतिशत स्थानीय किया जाए।केंद्र सरकार द्वारा वन अधिकार संरक्षण अधिनियाम 2022 को लागू न किया जाए।हसदेव अरण्य क्षेत्र में आदिवासियों एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु कोयला खनन बंद किया जाए। प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में आपसे आग्रह है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए अति शीघ्र 32त्न आरक्षण लागू किया जाए, ताकि आदिवासियों का शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक विकास हो।

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