हिंदी विश्वविद्यालय ने मनाया संविधान दिवस
* संविधान की उद्देशिका का किया सामूहिक वाचन
* संविधान जागरूकता रैली का किया आयोजन
वर्धा : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में मंगलवार, 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर पूर्वाह्न 10:00 बजे प्रशासनिक भवन में संविधान की उद्देशिका का अध्यापकों, अधिकारियों, कर्मियों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों द्वारा सामूहिक वाचन किया गया। कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने संविधान की उद्देशिका का वाचन किया, जिसे उपस्थितों द्वारा दोहराया गया। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. आनन्द पाटील, प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ल, प्रो. कृपा शंकर चौबे, प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर, प्रो. बंशीधर पाण्डेय, प्रो. जनार्दन कुमार तिवारी, डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी, डॉ. रामानुज अस्थाना, डॉ. बालाजी चिरडे, डॉ. जयंत उपाध्याय, आनन्द भारती, डॉ. प्रकाश नारायण त्रिपाठी, विनोद वैद्य, डॉ. राजेश्वर सिंह, राजेश अरोड़ा, राजेश यादव, बी. एस. मिरगे सहित अध्यापक, अधिकारी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।
इसके उपरांत संविधान जागरूकता रैली निकाली गयी। कुलपति प्रो. सिंह ने हरी झंडी दिखा कर रैली का शुभारंभ किया। रैली गांधी हिल्स, छत्रपति शिवाजी महाराज प्रवेश द्वार से होते हुए पंजाबराव देशमुख कॉलनी के मार्ग से विश्वविद्यालय पहुंची। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अकादमिक भवन में रैली का समापन किया गया।
रैली में ‘संविधान है देश की शान, यही बनाता भारत महान’, ‘संविधान की शक्ति पहचानो, अपने अधिकारों को जानो’, ‘जिसने दिया हमें अधिकार, उसकी रक्षा करना है हमारा कर्तव्य बार-बार’, ‘लोकतंत्र की पहचान है, संविधान हमारी जान है’, ‘संविधान का सम्मान करों, भारत का उत्थान करों’ आदि नारे लगाये गए।
रैली के सफल संचालन हेतु डॉ. युवराज खरे, डॉ. दिव्या शुक्ला, डॉ. परमानन्द राठोड, डॉ. अभिषेक त्रिपाठी, डॉ. विजय कुमार सिंह, डॉ. अभिषेक सिंह, संगीता मालवीय, हेमंत दुबे, मिथिलेश राय, सुधीर खरकटे, राकेश झाडे, पीयूष लांबाडे आदि ने सहयोग किया।
केंद्र सरकार ने भारत के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक साल तक चलने वाले ऐतिहासिक उत्सव की शुरुआत की घोषणा की है। यह एक मील का पत्थर है जो हमारे लोकतंत्र की उल्लेखनीय यात्रा और हमारे मौलिक सिद्धांतों और संवैधानिक मूल्यों की स्थायी विरासत को दर्शाता है। संविधान दिवस अभियान का घोष वाक्य “हमारा संविधान हमारा गौरव” है और इसका उद्देश्य इसमें निहित मौलिक मूल्यों को दोहराते हुए संविधान निर्माताओं के योगदान का सम्मान करना है।
26 नवंबर 1949 को, भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिससे भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत हुई। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान अपनाया गया था जो भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ है। अपनी स्थापना के बाद से पिछले 75 वर्षों में, संविधान ने देश की प्रगति को आकार देने वाले मार्गदर्शक ढांचे के रूप में कार्य किया है। भारत सरकार ने एक विशेष वेबसाइट constitution75.com विभिन्न गतिविधियों और उपक्रमों के माध्यम से नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए तैयार की है।