कोल्‍ड वार 2.0: एक तरफ अमेरिका और सहयोगी, दूसरी तरफ चीन-रूस, शह-मात का गेम शुरू


नई दिल्ली. कोरोना के संकट के बीच ये स्थिति एक शीत युद्ध की है. जिसमें एक तरफ अमेरिका और उसके सहयोगी हैं और दूसरी तरफ चीन और रूस. यहां संदेह, शत्रुता और आक्रामकता के साथ बिना हिंसा के सेनाओं में भी हलचल जारी है. 1945 से 1980 के दशक के अंत तक चलने वाले शीत युद्ध की मानक विशेषताएं यही रही हैं. अब, अमेरिका चीन के खिलाफ अपने सहयोगी बढ़ा रहा है. अमेरिका का सहयोगी ऑस्ट्रेलिया प्रभावी रूप से चीन के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ने की तरफ बढ़ रहा है, बावजूद इसके कि चीन, ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है.

चीन में 30 प्रतिशत निर्यात ऑस्ट्रेलिया करता है, जो उसकी GDP का 7 प्रतिशत है. चीनी छात्र और पर्यटक ऑस्ट्रेलिया को काफी अच्छा बिजनेस देते हैं. चीन हर चीज का लाभ उठाता रहा है. प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के कोरोना वायरस प्रकोप पर व्यापक जांच की मांग के बाद अब चीन ने ऑस्ट्रेलिया से बीफ और जौ का आयात रोक दिया है.

हालांकि, ऑस्ट्रेलिया अपनी बात पर अब भी कायम है. उसके बाद आता है जापान. जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव ने चीन में उइगरों के बारे में बात की है. एक प्रेस कांफ्रेंस में जब जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशिहिदे सुगा से उइगरों के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि टोक्यो चीन को करीब से देख रहा है. चीन से अपना कारोबार कम करने के लिए जापान भी कड़ी मेहनत कर रहा है.

ट्रंप भले ही अपने यू-टर्न के लिए जाने जाते हों, लेकिन फिलहाल कुछ दिनों से वो चीन पर काफी आक्रामक हो रहे हैं. गुरुवार को एक साक्षात्कार के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन के साथ अमेरिका के राजनयिक संबंधों को खत्म करने की धमकी दी. ट्रंप ने कोरोना वायरस महामारी के लिए चीन को दोषी ठहराया और कहा कि वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात नहीं करना चाहते.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने एक नपी-तुली प्रतिक्रिया दी, लेकिन जब विरोधियों के साथ ताइवान का नाम जोड़ा तो वो भड़क गए.

हाल ही में, अमेरिकी सचिव माइक पोम्पिओ ने सात देशों के विदेश मंत्रियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की. इसका मकसद था उन्हें चीन के विरोध में लाना. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इस बैठक का हिस्सा थे. इज़राइल और दक्षिण कोरिया ने भी इसमें हिस्सा लिया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बातचीत 75 मिनट तक चली, जिसमें अमेरिका ने चीन की आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्गठन और विश्व व्यापार पर चीन के वर्चस्व को खत्म करने पर जोर दिया. सोमवार को टकराव बढ़ सकता है, क्योंकि इस दिन WHO के सदस्य वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मुलाकात करेंगे.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!