कोरोना का भयानक रूप दिखा सकती है ऐसी लापरवाही
कोरोना से बचने की गारंटी नहीं है मास्क लेकिन इस संक्रमण से बचने का बहुत ही प्रभावी तरीका जरूर है। लेकिन कुछ लोगों की लापरवाही अभी भी हमारे समाज पर भारी पड़ रही है और कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। यहां जानें थूकने से कैसे बीमारी फैलती है और कौन-सा मास्क कोरोना से बचाने में अधिक प्रभावी है…
लॉकडाउन के दौरान मिली ढील का कुछ लोग गलत लाभ ले रहे हैं और इस कारण संक्रमण का शिकार भी हो रहे हैं। ऐसी स्थितियां और खबरें देश के अलग-अलग हिस्सों में लगातार देखने को मिल रही हैं। इसी बात का ध्यान रखते हुए गुजरात सरकार की तरफ से पब्लिक प्लेस पर बिना मास्क के घूमनेवालों और सार्वजनिक स्थानों पर थूकनेवालों पर जुर्माना बढ़ा दिया गया है। पहले जहां यह जुर्माना मात्र 200 रुपए था, वहीं इसे अब 500 रुपए कर दिया गया है। लेकिन हममें से किसी को भी जुर्माने से डरकर नहीं बल्कि अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए इस तरह की लापरवाही से बचना चाहिए। यहां जानें आखिर कैसे थूकना या बिना मास्क घूमना हमें कोरोना के भयानक रूप से परिचित करा सकता है…
गारंटी नहीं बचाव है मास्क
-आपको यह बात जरूर पता होनी चाहिए कि फेस मास्क कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षा की गारंटी नहीं है। बल्कि इस वायरस से बचाव का सुरक्षित और सस्ता और प्रभावी तरीका हैं। इसीलिए सरकार की तरफ से मास्क पहनने पर इतना जोर दिया जा रहा है।
कैसे काम करते हैं मास्क?
-पिछले दिनों केंद्र सरकार की तरफ से सभी राज्यों की सरकारों को पत्र लिखकर इस बात की सूचना दी गई थी कि एन-95 मास्क इस वायरस के संक्रमण से बचाव में कारगर नहीं हैं। इनकी जगह सूती कपड़े के कई लेयर्स वाले मास्क पहनना अधिक कारगर है। ऐसा क्यों कहा गया यह जानने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।
-दरअसल, यदि हमारे आस-पास कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति होता है, जिसकी सांस, खांसी या छींक के जरिए हवा में आनेवाली कोरोना संक्रमित ड्रॉपलेट्स हमारे शरीर में प्रवेश कर हमें भी संक्रमित कर सकती हैं। मास्क उन ड्रॉपलेट्स को शरीर में जाने से रोकने का कार्य करता है।
-कई बार ऐसा भी होता है कि मास्क पहनने के बाद भी शरीर में कोरोना ड्रॉपलेट्स का प्रवेश हो जाता है, लेकिन इस स्थिति में इन ड्रॉपलेट्स की मात्रा इतनी सीमित होती है कि यदि आप सही डायट और रुटीन अपना रहे होते हैं तो यह वायरस शरीर में पनपने से पहले ही मर जाता है।
-यदि यह वायरस मरता भी नहीं है तो इसे इतनी मात्रा में बनने में वक्त लगता है कि यह आपके शरीर को पूरी तरह संक्रमित कर सके। इस स्थिति में जब तक यह वायरस अपनी कॉपीज बनाना शुरू करता है, तब तक शरीर की इम्यून सेल्स ऐक्टिव हो जाती हैं और इस वायरस को मारने का काम कर देती हैं। ऐसे में यह संक्रमण आपके शरीर में फैलने की संभावना बेहद कम हो जाती है।
थूकने में क्या समस्या है?
-सड़क पर या सार्वजनिक स्थानों पर थूकना सामाजिक बुराई तो है ही, यह समाज की सेहत के लिए भी बुरा है। क्योंकि इस कारण टीबी, हेपेटाइटिस, वायरल और कोरोना जैसी कई संक्रमित बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
-दरअसल, यदि किसी संक्रमित बीमारी से पीड़ित व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर थूकता है तो उसके थूक के जरिए वायरस भी बाहर आता है। यह वायरस हवा की ड्रॉपलेट्स के साथ मिलकर बीमारी फैला सकता है। साथ ही पैदल चलने के दौरान जूते-चप्पलों के जरिए यह वायरस दूसरे लोगों के घरों तक भी पहुंचता है।
-ऐसे में यदि हाइजीन संबंधी कोई भी लापरवाही हो जाती है तो यह संक्रमण एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे व्यक्ति में तेजी से फैल सकता है। इस कारण हेल्थ एक्सपर्ट्स और समाजसेवी संस्थाएं लगातार इस बात के प्रति जागरूकता फैलाती रहती हैं कि खुले स्थानों, सड़कों और सार्वजनिक जगहों पर नहीं थूकना चाहिए।