रागी की खेती महिला सशक्तिकरण का प्रयास

बलरामपुर/धीरेन्द्र कुमार द्विवेदी. जिले में कृषि कार्यों को लेकर निरंतर नवाचार के माध्यम से सफलता अर्जित की जा रही है। परम्परागत फसलों से इतर दलहन-तिलहनी फसलों के साथ ही रागी की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। पिछले वर्ष प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की महिला समूहों को रागी की खेती के लिए प्रोत्साहित कर सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई। समूह की महिलाओं ने सामुदायिक रूप से खेती कर एक नया कृतिमान स्थापित किया । रागी की खेती में महिलाओं के परिश्रम का परिणाम सकारात्मक रहा और उन्हें अच्छी आय भी प्राप्त हुई है। महिलाओं ने परिश्रम के बल पर 186 क्विंटल रागी बीज उत्पादित कर लगभग 5 लाख रुपए की आय प्राप्त की।

रागी की खेती के उत्साहवर्धक परिणामों से प्रेरित होकर प्रशासन ने रागी की खेती को विस्तार देने का निर्णय लिया था। कलेक्टर  श्याम धावड़े तथा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इस वर्ष भी रागी की खेती में समूह की महिलाओं को ही प्राथमिकता दी जा रही है। इस वर्ष भी 2000 हेक्टेयर में रागी की खेती की जा रही है तथा साथ ही 300 हेक्टेयर में रागी का बीज उत्पादन कार्यक्रम लिया जा रहा है। उत्पादित रागी की बीज को राज्य स्तर पर विक्रय किया जा सकेगा जिससे अच्छी आमदनी प्राप्त होगी। जिले के विजयनगर, घुघरिकला, नरसिंगपुर, रूपपुर सहित अन्य ग्रामों में भी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाएं सामुदायिक रूप से रागी की खेती कर रही है। इसमें वनाधिकार पत्र के हितग्राही महिलाओं को भी शामिल कर उन्हें रागी की खेती से जोड़ा गया है। इस वर्ष भी समूह की महिलाएं रागी का रोपण कर चुकी है। महिलाओं का अथक परिश्रम इस बात को स्थापित करता है कि इस चुनौतीपूर्ण समय मे भी रागी की खेती से अच्छी आमदनी होगी।

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