बिना प्लानिंग शहर में बनाए गए चौक चौराहों से बढ़ी मुसीबत

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. शहर में बनाये गए चौक चौराहे किसी अजूबे से कम नहीं है। नगर निगम के इंजीनियरों ने प्लानिंग और दिशा निर्देशों पालन नहीं किया और जहां चाहे वहां चौराहे का निर्माण करा दिया। जिसके चलते दुघटनाएं हो रही है। सहीं मायने में नगर निगम के इंजीनियरों को इंजीनियरिंग का पाठ पढ़ाने की सख्त जरूरत है। राज्य शासन को इन इंजीनियरों की अलग से क्लास लगाकर दिशा-निर्देश देने की आवश्कता है। दूनिया के किसी भी देश में ऐसे चौक-चौराहों का निर्माण नहीं किया गया है जैसा बिलासपुर नगर निगम द्वारा कराया गया है। इन्हीं इंजीनियरों के कारण भूमिगत नाली योजना, अमृत मिशन योजना पर ग्रहण लगा है।
चार दिशाओं में बने सड़कों पर नियमत: चौक-चौराहे का निर्माण किया जाता है ताकि लोग सहीं गति से अपने अपने रास्ते में जा सके। सत्यम चौक से एक ओर मगर पारा, दूसरी ओर अग्रसेन चौक, तीसरी ओर सिविल लाइन, चौथी ओर से मसानगंज के लिए आवाजाही की व्यवस्था है किंतु सत्यम चौक से पुलिस पेट्रोल पंप जाने के लिए लोग यातायात थाने के पीछे से गुजरते हैं और यहां दोनों ओर से वाहन आने के कारण हादसा होता है। आवासीय क्षेत्र में नगर निगम द्वारा सड़क बनाया गया है जो गलत है। सत्यम चौक से पहले शहीद विनोद चौबे मार्ग बना दिया गया है यहां पर भी हादसे की आशंका बनी रहती है। इसी तरह पुराना बस स्टैण्ड में भी हर समय भारी गहमा-गहमी की स्थिति रहती है। कौन किधर से आ रहा और किधर जाएगा यह तय नहीं रहता।
इमलीपारा की ओर से लोग सीधे राजस्थान जलेबी होटल मार्ग से सड़क पर घूस जाते हैं वहीं बजरंग पान ठेला के पास भी लोग प्रवेश करते, करबला रोड़ से भी लोग बस स्टैण्ड चौराहा आते हैं अब ऐसे में यातायात व्यवस्था प्रभावित होना तय है। यातायात पुलिस आखिर कहां पर खड़े हो और कहां से सिग्नल लगाकर लोगों को सहीं दिशा में आने-जाने निर्देश दें किसी को पता नहीं। इसी तरह मंगला चौक की अगर बात करें तो यहां भी यातायात प्रभावित होता है। उस्लापुर जाने लोग गौरवपथ से पेट्रोल पंप रास्ते से मुख्य मार्ग में प्रवेश करते हैं महाराणा प्रताप चौक से आने वाली यात्री बसें भी इसी तरह मार्ग से गुजरते हैं और उस्लापुर से महाराणा प्रताप चौक जाने लोग भी इसी मार्ग का प्रयोग करते हैं। बेतरतीब ढंग से बनाये चौक चौराहों के यातायात व्यवस्था नहीं सुधर पा रही है। इसके लिए दोषी नगर निगम के इंजीनियर हैं जिन्होंने बिना सोचे समझे सड़कों का निर्माण कराकर चौक चौराहा बना दिया है।
बताया जा रहा है कि वर्ष 1987-88 के दौरान नगर निगम बिलासपुर द्वारा जिन लोगों की भर्ती की गई थी इन्हीं में से कुछ लोगों को इंजीनियर बना दिया है। इन इंजीनियरों को बेसिक जानकारी नहीं है जिसके चलते शहर में टर्निंग पाइंट और आवाजाही की समस्या से लोग परेशान हो रहे हैं। आज की स्थिति में स्मार्ट सिटी बनने की राह में बिलासपुर की सबसे बड़ी समस्या यातायात की समस्या है। जनहित में राज्य सरकार को ऐसे इंजीनियरों को सबक सिखाने की जरूरत है। टेंडर प्रक्रिया के तहत नक्शा पास करा लिया जाता है नक्शा पास करने एवज में भी नगर निगम के अधिकारी अपनी झोली तो भर लेते हैं और शहर में रहवासी क्षेत्रों से सड़क निकालकर मुख्य मार्ग में जोड़ देते हैं अवैधानिक तरीके से चौराहों का निर्माण भी कर देते हैं। यातायात विभाग द्वारा नियमों का हवाला देकर लोगों से चालान काट लिया जाता है सहीं मायने में सिग्नल व्यवस्था और चौराहों को सुधारने आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।