जिले में तेजी बढ़ रहा अपराध का ग्राफ : पुलिस के पास ठोस योजना नही

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. उस्लापुर सकरी मुख्यमार्ग में ज्वेलर्स दुकान संचालक के साथ हुए गोली कांड के आरोपियों को पुलिस ने धर दबोचा है, पुलिस के अनुसार वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों में झारखंड और स्थानीय लोग शामिल हैं। आरोपियों ने शहर व आसपास के क्षेत्रों में 20 से अधिक संपत्ति संबंधी मामलों में अपराध करना स्वीकार किया है।  जिले में अन्य राज्यों से आकर अपराध को अंजाम देने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व भी अधिकांश गंभीर वारदातों को बाहरी गिरोह के लोगों ने अंजाम दिया है। सांप निकल जाने के बाद रस्सी पीटने का काम हमारी पुलिस करती चली आ रही है। स्थानीय पुलिस प्रशासन को खुफिया तंत्र मजबूत बनाने की सख्त आवश्यकता है इसी तरह मुखबिरों को भी सर्तक करना होगा।

मालूम हो कि राज्य बनने के बाद शहर में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। बिलासपुर शहर क्राइम का गढ़ बन चुका है। सारे उल्ले-सीधे धंधे शहर में बेखौफ होकर संचालित किया जा रहा है। कानून व्यवस्था के नाम पर दुपहिया व चार पहिया वाहनों की तलाशी बस ली जा रही है। गली-कूचों में पनप रहे संगीन अपराधों पर पुलिस का नियंत्रण नहीं है या फिर यह भी कह सकते हैं कि सारा कुछ सेटिंग से चल रहा है। अब सवाल यह उठता है कि दूसरे राज्यों से आकर चोरी-डकैती की घटनाओं को अंजाम देने वाले आसानी से कैसे भाग निकलते हैं। पुलिस की स्पेशल टीम हाथ पर हाथ धरी बैठी रहती है। अपराध पर नियंत्रण लगाने पूर्व में क्राइम ब्रांच का गठन किया गया था लेकिन ब्रांच के तमाम कर्मचारी रिश्वतखोरी की गंगा में हाथ धोते रहे। आलम यह हुआ इसे भंग करना पड़ा। अब साइबर सेल के सहारे कानून व्यवस्था टिकी हुई है। साइबर सेल के सहारे सब कुछ अच्छा चल रहा है कहा नहीं जा सकता। जनहित में शहर में बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखने रिश्वतखोरी के लिए बेलगाम हो चुके पुलिस कर्मचारियों को सहीं रास्ते में लाने के साथ साथ खुफिया तंत्र को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। हत्या, चोरी, डकैती जैसे कई गंभीर मामले हैं जिन पर आज भी रहस्य बरकरार है। खाकी की गरिमा बचाने ईमानदारी की सख्त आवश्यकता है, नहीं तो वह दिन दूर नहीं कि थाने में चोरी की रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दर्ज करानी पड़ जाये।

ऐसे मिलता है बढ़ावा
चोरी छोटी हो या बड़ी, चोरी चोरी होती है। शहर में कारोबार करने वाले यह बात अच्छे से जानते हैं कि चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने अगर थाने जाना पड़ा तो पुलिस सीधे मुंह बात नहीं करेगी और शिकायत लेकर चलता कर देती है। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि चोरी की रिपोर्ट लिखाने वाला सबूत भी लेकर थाने जाता है लेकिन पुलिस उसकी एक नहीं सुनती। दुकानदारी करने वालों को तो पुलिस कहती है कि दुकान में पैसा मत रखो। जानबुझकर दुकान में पैसे रखोगे तो चोरी तो होना ही है। ऐसे कई अनगिनत मामले हैं जिन पर पुलिस सीधे अपराध दर्ज करना छोड़ उल्टे शिकायतकर्ता को खरी-खोटी सुना देते हैं। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि आम जनता से सीधे संवाद कर बेहतर पुलिसिंग व्यवस्था बनाई जाएगी लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो सका।

सीमांवर्ती थानों में तालमेल बनाने की आवश्यकता
यह बात सभी जानते हैं कि अन्य राज्यों के गांजा-शराब तस्कर आसानी से जिले से गुजर जाते हैं। सीमांवर्ती थानों में तालमेल नहीं होने के कारण बाहर राज्यों से तस्कर सीधे जिले में प्रवेश कर रहे हैं। कभी-कभाल स्थानीय पुलिस के हाथ गांजा-शराब की तस्करी करने वाले हाथ लगते हैं। नशे के कारोबार और चोरी-डकैती के वारदातों पर रोकथाम लगाने के लिए सीमावर्ती थानों के संपर्क में रहने की जरूरत दिनों बिलासपुर पुलिस को है।

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