कोरोना महामारी में हर जरूरतमंद लोगों की मदद करने की आवश्यकता है : कुलपति

बिलासपुर. अटल बिहारी वाजपई विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ में  अंतरराष्ट्रीय वेबीनार सत्र का आयोजन किया गय। जिसके अध्यक्ष आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी कुलपति बिलासपुर छत्तीसगढ़ रहे। सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुधीर शर्मा ने स्वागत भाषण के द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत की।  प्रोफ़ेसर दिवाकर शुक्ल, लंदन ने अपनी बात रखी उन्होंने बताया कि मानसिक व शारीरिक रोगों के पीछे त्रिदोशो का असंतुलन मुख्य होता हैl वर्ज्य आहार के ग्रहण करने से हमारा अन्नमय और प्राणमय में कोश दूषित हो जाता हैl जिससे मनोमय कोश भी स्वत: दूषित हो जाता हैl फलस्वरूप यदि तनाव और चिंता का शिकार हो जाता हैl उन्होंने महर्षि पतंजलि के द्वारा दिए हुए यम नियम रुपी अष्टांग योग के अभ्यास पर भी ध्यान केंद्रित किया और बतलाया की यम नियम आसन प्राणायाम के द्वारा अविद्या रुपी क्लेश पर आसानी से विजय प्राप्त कर व्यक्ति शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति कर सकता हैl
आदित्य सत्संगी( कैलिफोर्निया यूएसए ) ने बतलाया आचार्य सुश्रुत आचार्य चरक नारद अश्वनी कुमार इत्यादि सारे महान वैज्ञानिक थेl हमें धर्म को साथ अध्यात्म को लेकर भी चलना चाहिए विदेशियों के द्वारा भारतीय परंपरा योग आयुर्वेद को जानने के लिए बहुत ही ज्यादा उत्सुकता होती हैl वे हमारी महान परंपरा को जानने के लिए अति उत्सुक है पाश्चात्य लोगो के लिए भारतीय संस्कृति शोध का विषय है और भविष्य में भी रहेगीl
डॉ सुशील कुमार सराफ ने कोरोना महामारी का सबसे बड़ा कारण हमारी अनुशासनहीनता और लापरवाही को बतलायाl विदेशो मे योग प्राणायाम आयुर्वेद तथा सरकार के द्वारा दिए गए नियमों का पालन कर इस महामारी से बचने के उपाय उन्होंने बतलाए। अंत में आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपई कुलपति बिलासपुर विश्वविद्यालय ने कहा कि कोरोना महामारी के इस भीषण समय में  हमे हर गरीब  जरुरतमंद की सहायता करने की आवश्यकता है। इसके साथ साथ  हमें अपने शरीर मन मस्तिष्क व विचारों को संतुलित रखना चाहिए। मन के नियंत्रण से हम शरीर को भी नियंत्रित कर सकते है। सात्विकता के अनुपालन से सात्विक विचार व तामसिकता से विकार की उत्पत्ति होती है। हमें सकारात्मक रहते हुए इस भयावह महामारी का सामना करना चाहिए।
उन्होंने श्रीमदभगवदगीता का उदाहरण देते हुए  बतलाया कि प्रत्येक मनुष्यों को अपने-अपने कर्म निष्ठा पूर्वक करने चाहिए। और लोगो जल्दबाजी और आवश्यकता से अधिक की चाहत छल प्रपंच से बचकर हम इस महामारी पर विजय प्राप्त करने का संकल्प लेना चाहिए। हमे योग, आयुर्वेद के आचार संहिता का पालन करना चाहिए साथ ही साथ उन्होंने पाठ्यक्रम में प्राचीन भारतीय पद्धति के  वैदिक ग्रंथ योग , आयुर्वेद, गणित, भौतिक, रसायन, अर्थशास्त्र लोक प्रशासन , धर्मनीति ,कूटनीति दर्शन इत्यादि को भी शामिल करने पर बल दिया ताकि प्राचीन भारतीय संस्कृति के लोककल्याणकारी अद्भुत ज्ञान का अध्ययन कर विद्यार्थी इस दिशा में सकारात्मक प्रयास कर सके एवं अपना भविष्य उज्जवल कर सकें। समाज को एक नई दिशा प्रदान कर सकें अंत में डॉक्टर सुमोना भट्टाचार्य ने सभी को धन्यवाद प्रेषित किया कार्यक्रम के मुख्य संयोजक सौमित्र तिवारी एवं  संचालिका सुश्री श्रिया साहू रहे।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!