गांधी का संपूर्ण जीवन योगमय था : प्रो. आरके गुप्ता

वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में संबोधित करते हुए शासकीय पी. जी काॅलेज श्रीदेवसुमन उत्तराखण्ड के प्राचार्य प्रो. आर. के. गुप्ता ने कहा कि महात्मा गांधी का संपूर्ण जीवन ही योगमय था. गांधी जी उच्च कोटि के योग अध्येता तथा योग अभ्यासी थे.  प्रो. गुप्ता शुक्रवार को (25 जून) महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय वर्धा के संस्कृति और साहित्य विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में   ‘गांधी जीवन में योगिक चेतना’ विषय पर तरंगाधारित व्‍याख्‍यान में बतौर मुख्‍य वक्‍ता बोल रहे थे. योग सप्‍ताह के उपलक्ष्‍य में यह व्याख्यान आयोजित किया गया था. उन्होंने योग की व्याख्या करते हुए उसे गांधी जी के जीवन से जोडकर विभिन्न प्रकार के योग की चर्चा की. गांधी जी और योग के संबंध  को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि गांधी का जीवन अहिंसक था. उन्होंने सत्य का प्रतिपादन किया और ब्रह्मचर्य का पालन किया. उनकी संकल्पशक्ति अद्वितीय थी. गांधी जी ने अनुभूति के स्तर पर संपूर्ण स्वास्थ्य का अनुभव अपने जीवन में किया.  अध्‍यक्षीय उदबोधन में प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट ने ध्यान, धारणा और समाधि के संदर्भ में गांधी जी के मौन व्रत का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि गांधी जी के अनेक प्रयोगों से पता चलता है कि उनका जीवन यौगिक चेतना से परिपूर्ण था. कार्यक्रम का स्‍वागत वक्‍तव्‍य संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने किया। प्रास्‍ताविक गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के अध्यक्ष   डाॅ. मनोज राय ने किया. संस्‍कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जगदीश नारायण तिवारी ने मंगलाचरण प्रस्‍तुत किया। संचालन गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के  एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राकेश मिश्र ने किया तथा सहायक प्रोफेसर डॉ. चित्रा माली ने धन्‍यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम में अध्‍यापक, शोधार्थी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्या में सहभागी हुए. इस अवसर पर साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो.अवधेश कुमार सहित अध्यापक प्रमुखता से उपस्थित हुए.

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