Lord Shiva की कृपा पाने के लिए बहुत खास है Sawan Month, जानें इस महीने के Vrat-Puja विधि
नई दिल्ली. 16 जुलाई, शुक्रवार से श्रावण संक्रान्ति आरंभ हो गई है. वहीं 25 जुलाई से सावन महीना (Sawan Month) शुरू होगा जो 22 अगस्त तक चलेगा. इस दौरान कुल 4 सोमवार पड़ेंगे. शिव जी की आराधना के लिए बेहद खास माने जाने वाले इस महीने में विधि-विधान से पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू से जानते हैं पूजा करने की विधि और सावन महीने के उपाय.
सावन महीने के प्रमुख व्रत
सावन का पहला सोमवार: 26 जुलाई 2021
दूसरा सोमवार: 2 अगस्त 2021
तीसरा सोमवार: 9 अगस्त 2021
चौथा सोमवार: 16 अगस्त 2021
वहीं सावन महीने की शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को है. यह 6 अगस्त को है.
सावन के महीने में रखे जाते हैं 3 प्रकार के व्रत
1. सावन सोमवार व्रत
2. सोलह सोमवार व्रत
3. प्रदोष व्रत
शिवभक्त सावन महीने में पड़ने वाले सभी सोमवार के व्रत करते हैं, वहीं कुछ भक्त सावन सोमवार के बाद भी उन्हें जारी रखते हैं और 16 सोमवार तक व्रत करते हैं. इन्हें ही सोलह सोमवार व्रत (Solah Somvar Vrat) कहते हैं. कहते हैं सावन सोमवार व्रत करने से लड़कियों को मनचाहा पति मिलता है, वहीं सुहागिनों द्वारा व्रत करने पर दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. इसके अलावा प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए प्रदोष (Pradosh Vrat) के दिन किया जाता है.
व्रत-पूजन विधि
– व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें.
– पूजा स्थान की सफाई करें.
– भोलेनाथ के सामने आंखें बंद करके शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें.
– दिन में 2 बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें.
– भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें.
– ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं.
– व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाएं. शिव चालीसा पढ़ें.
– प्रसाद बांटें और शाम को पूजा करके व्रत खोलें.
बिल्वपत्र कैसे चढ़ायें ?
भगवान शिव को बिल्व पत्र बहुत प्रिय है लेकिन हमेशा बिल्व पत्र सही तरीके से चढ़ाएं.
– शिवलिंग पर बिल्वपत्र सदैव उल्टा रखकर अर्पित करें.
– बिल्वपत्र में चक्र एंव वज्र नहीं होने चाहिए. कीड़ो द्वारा बनायें हुये सफेद चिन्हों को चक्र कहते है और डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते है.
– बिल्वपत्र कटे या फटे न हो.
– ये 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं. रूद्र के 11 अवतार हैं इसलिए 11 दलों वाले बिल्वपत्र चढ़ाने से महादेव बहुत प्रसन्न होते हैं.
– बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों तक पाप नष्ट हो जाते है.
– शिव के साथ पार्वती जी पूजा अवश्य करें तभी पूर्ण फल मिलेगा.
– पूजन करते वक्त रूद्राक्ष की माला अवश्य धारण करें.
– भस्म से तीन तिरछी लकीरों वाला तिलक लगायें.
– शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए.
– शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करें.
– शिव जी पर केंवड़ा व चम्पा के फूल कदापि न चढ़ायें.