सफलता की कहानी : मेहनतकश रामप्रसाद को मनरेगा से मिले संबल ने दिखाई संपन्नता की राह
बिलासपुर. विकासखण्ड मस्तूरी के ग्राम पंचायत विद्याडीह टांगर निवासी रामप्रसाद को अब बारिश के बाद के महीनों में रोजगार की चिंता नहीं है। मनरेगा में एक छोटा सा जल संग्रह का साधन पाकर अब उनका परिवार आर्थिक संपन्नता की राह पर चल पड़ा है। डबरी निर्माण के बाद उनके फसल उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बतख पालन एवं मछली पालन से अब अतिरिक्त मुनाफा भी कमा रहे है। मनरेगा (महात्मा गांधी ग्रामीण गारंटी रोजगार योजना) के तहत् हो रहे आजीविका संवर्द्धन के कार्याें से कई परिवारों की जिंदगी बदल गई है। नए संसाधनों ने उन्हें इस काबिल भी बना दिया है कि अब वे विपरीत परिस्थतियों में भी दूसरों की मदद कर पा रहे है। इस योजना ने जीवनयापन के साधनों को सशक्त कर लोगों की आर्थिक उन्नति के द्वार खोले है।
रामप्रसाद ने बताया कि उनके परिवार का गुजर-बसर खेती किसानी से होता है। गांव में बारिश कम होने एवं सूखे की स्थिति निर्मित होने पर फसल का उत्पादन कम होता था। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगा गई थी। शासन की मनरेगा योजना की जानकारी मिलने पर उन्होंने डबरी निर्माण के लिए आवेदन किया। 2 लाख 82 हजार की लागत से उनके खेत में डबरी निर्माण करवाया गया। डबरी बनने से गांव के अन्य मजदूरों को रोजगार मिला इसके साथ ही रामप्रसाद की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। अब उनके खेतों में धान की फसल के लिए पानी की कोई कमी नहीं है। फसल उत्पादन में भी 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। डबरी में बत्तख एवं मछली पालन से उन्हें अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है। इसके अलावा वे डबरी के आसपास सब्जी भी उगाते है। उन्होंने बताया कि मनरेगा से उनकी जिंदगी संवर गई है। डबरी ने उनकी आजीविका को स्थायी और सशक्त बनाया है।