तालिबान ने रिहा किए सभी कैदी, सजा सुनाने वालीं Female Judges खौफ में; घर-घर खोज रहे लड़ाके
काबुल. कुछ वक्त पहले तक जिन महिलाओं के आते ही अपराधी भी अदब से खड़े हो जाया करते थे, आज वो अपनी जान बचाने के लिए यहां-वहां भागने को मजबूर हैं. अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) राज के साथ ही महिला जजों (Female Afghan Judges) को अपनी जान के फिक्र होने लगी है. कुछ खुशकिस्मत रहीं कि विदेशी सेनाओं की मौजूदगी में मुल्क छोड़कर चली गईं, जबकि कुछ अभी भी यहीं फंसी हुईं हैं और नहीं जानतीं कि आगे उनके साथ क्या होगा. ऐसी महिलाओं की संख्या करीब 250 के आसपास है.
बड़ी संख्या में लोग छोड़ रहे मुल्क
दरअसल, तालिबान (Taliban) के सत्ता में आते ही तमाम कैदियों को जेल से रिहा कर दिया गया है. इनमें वे तालिबान लड़ाके भी शामिल हैं, जिन्हें इन महिला जजों ने सजा सुनाई थी. अब महिला जजों को चिंता सताने लगी है कि कहीं वो उन्हें अपना शिकार न बना लें. अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबानी कब्जे के बाद से बड़ी संख्या में लोग मुल्क छोड़कर भाग रहे हैं. इनमें महिला जजों की संख्या भी काफी ज्यादा है. कुछ पहले ही देश से जा चुकी हैं जबकि कुछ अभी भी यहां फंसी हुई हैं और निकलने की जुगत लगा रही हैं.
Judges पहले भी रहीं हैं निशाने पर
न्याय के क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं पहले से ही तालिबान के निशाने पर रही हैं. इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट की दो महिला जजों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अब जब देशभर में तमाम अपराधियों को जेल से रिहा कर दिया गया है, तो महिला जजों को जान का खतरा महसूस होने लगा है. अफगानिस्तान छोड़ने में कामयाब रही एक महिला जज ने बताया कि करीब चार-पांच तालिबान लड़ाके उनके घर पर आए थे. उन्होंने पूछा कि महिला जज कहां है? ये वो लड़ाके थे, जिन्हें मैंने जेल में डाला था.
Women Prosecutors भी खतरे में
महिला जजों के अंतरराष्ट्रीय संगठन (आईएडब्लूजे) की मदद से मुल्क छोड़ने वालीं जज ने बताया कि अफगानिस्तान में मौजूद महिला जजों के साथ तालिबान जानवरों से भी बदतर सलूक करेगा. वो लगातार अपनी साथियों के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा, ‘यदि जल्द कुछ नहीं किया गया तो तालिबानी लड़ाके महिला जजों को मार डालेंगे. महिला वकील और पुलिसकर्मी भी उनके निशाने पर हैं. वो लगातार उन्हें मारने की धमकी दे रहे हैं’.