शाजापुर. विशेष न्यायाधीश, अ0जा0अ0ज0जा0 अत्याचार निवारण अधिनियम शाजापुर म0प्र0 द्वारा आरोपी गोरधन सिंह पिता नारायण सिंह जाति राजपूत निवासी ग्राम गुंजारिया को भादवि की धारा 376 में दोषी पाते हुये 10 वर्ष का सश्रम कारावास और 1,000/- रू के अर्थदण्ड एवं भादवि की धारा 450 में 5 वर्ष के सश्रम कारावास और रु. 500 के अर्थदण्ड तथा अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2) (5) में दोषी पाते हुये आजीवन कारावास एवं 2500 रू के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया ।
विशेष लोक अभियोजक कमल गोयल, एडीपीओ शाजापुर ने बताया कि, दिनांक 31/01/2015 की घटना है। शाम के समय जब पीडिता घर में अकेली थी तभी मौका देखकर आरोपी गोरधन उसके घर में घुस आया और उसके साथ गलत काम किया। पीडिता ने घटना की रिपोर्ट थाना नलखेडा पर दर्ज करायी। थाना नलखेडा के द्वारा सम्पूर्ण अनुसंधान पश्चात चालान सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक कमल गोयल, एडीपीओ जिला शाजापुर द्वारा की गई। माननीय न्यायालय ने अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होते हुये आरोपी को दण्डित किया ।
नाबालिग के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000-/रूपये अर्थदण्ड : नाबालिग के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी नंदकिशोर पिता मुन्नालाल प्रजापति थाना-शाहगढ़ को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये धारा-भा.द.वि. की घारा-354 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000-/रुपये अर्थदण्ड एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-7/8 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000-/रुपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की । घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता/ बालिका ने पुलिस थाना शाहगढ़ में रिपोर्ट दर्ज कराई किवह दिनॉक 02.01.2019 के शाम करीब 5ः00 बजे घर के पास जंगल की तरफ शैच के लिये गई थी, वापस आते समय उसे अभियुक्त नंदकिशोर प्रजापति एवं उसका साथी मिला । अभियुक्त नंदकिशोर प्रजापति ने बुरी नियत से मेरा दाहिना हाथ पकड़ लिया। मेरे चिल्लाने पर मेरी बुआ आ गई जिसे देखकर दोनों भाग गये थे फिर मैेने घर आकर अपनी मॉ, पिता व दादी को घटना के बारे में बताया। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-शाहगढ़ द्वारा धारा- 354, 506, 34 भा.द.वि., धारा-9डी/10 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम एवं 3(1)(द), 3(1)(ॅ)(प) अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये धारा-भा.द.वि. की घारा-354 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000-/रुपये अर्थदण्ड एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-7/8 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000-/रुपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।