बुधवारी बाजार क्षेत्र में सट्टा पट्टी का काम सम्हालने स्टोरियो में मची होड़
बिलासपुर. शहर में सट्टे का कारोबार चरम पर है। दो भागों में शहर को बांटकर सट्टा किंग अपना कारोबार संचालित कर रहा है। राजधानी नाईट और कल्याण से आने वाले नंबरों पर लोग रोजाना लाखों रुपए दांव पर लगा रहे है। खुलेआम संचालित हो रहे इस अवैध कारोबार के बदले में पुलिस के नामचीन अधिकारियों को मुंह मांगा दाम भी मिल रहा हैं। भले ही पुलिस प्रशासन द्वारा जिले में निष्पक्ष कानून व्यवस्था का राग अलापा जा रहा है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। शहर में गांजा, शराब की अवैध बिक्री की जा रही है। इसी तरह सट्टे का कारोबार खुलेआम संचालित किया जा रहा है। पुलिसिया छूट के कारण कई लोग बर्बाद हो चुके है। देर रात तक सट्टा पट्टी लिखी जा रही है । तोरवा थाना प्रभारी को हटा कर नए को चार्ज दिया गया है। इस क्षेत्र में काम सम्हालने स्टोरियो में होड़ मची है।
वैसे तो शहर में सट्टा पट्टी का कारोबार तीस साल पहले किया जा रहा है । पहले कोई भी सट्टा पट्टी लिख लेता था। अब ऐसा नही हो रहा है। पूरे शहर में इस कारोबार को संचालित करने के लिए पर्दे के पीछे एक बड़ा सेठ बैठा हुआ है। इसके लोग हर इलाके में तैनात है। नदी के पार यानी सरकंडा और बुधवारी बाजार इलाके को दो भागों में बांट दिया गया है। बुधवारी बाजार में मुख्य आफिस बनाया गया हैं। शहर के मुख्य चौक चौराहों में सट्टा पट्टी लिखने के लिए युवकों को तैनात किया गया हैं। ज्यादातर लेन देन का हिसाब वाट्स एप के माध्यम हो जाता है। शाम को बुधवारी बाजार स्थित आफिस में हिसाब किताब किया जाता है।
दूर दूर तक नज़र नहीं आते पुलिस कर्मचारी
जिस स्थान पर सट्टा पट्टी लिखी जाती है वन्हा पर दूर दूर तक पुलिस कर्मचारी नजर नहीं आते। अगर भूल से भी कोई पुलिस कर्मचारी अगर आस पास फटकता है तो उसे सेठ से बात करवाकर हटवा लिया जाता है। नंबर लिखने वाले को पुलिस का लफड़ा बिलकुल भी पसंद नहीं होता, इसी शर्त पर वह काम करता।