अपने लिए जिए तो क्या जिए दूसरों के लिए जी कर देखो अच्छा लगता है : चुन्नी मौर्य

बिलासपुर. चुन्नी मौर्य एक समाज सेविका है, जिनका जन्म दुर्ग के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ उनकी प्रारंभिक शिक्षा भिलाई में हुई शुरू से ही प्रतिभाशाली रही चुन्नी मौर्य  कुकिंग, सिंगिंग और सिलाई कढ़ाई में रूचि रखने वाली एवं सामाजिक कार्यों में विशेष रूचि रखती हैं,6 भाई-बहन होने के कारण घर की भी जिम्मेदारियां रहती थी मन में सेवा भाव लिए हमेशा जरूरतमंदों की सेवा शुरू से ही उनके जीवन का अहम हिस्सा रहा ,सन 1992 में एक प्रतिष्ठित परिवार में उनकी शादी हुई घर में पर्दा प्रथा और संयुक्त परिवार जिम्मेदारियां भी बहुत बढ़ गई, चूल्हे में खाना बनाना ,उसके बाद कंप्यूटर की पढ़ाई की ,फिर सभी परिवार का ध्यान रखना, उसके बाद जब बच्चे हुए तो उनकी भी जिम्मेदारी, लेकिन उन्होंने गरीबों की और जरूरतमंदों की सेवा नहीं छोड़ी जब किसी भी जरूरतमंदों को देखती तो उनकी सहायता जरूर करती, संयुक्त परिवार और पर्दा प्रथा होने के कारण वह घर से भी ज्यादा बाहर नहीं निकल पाती थी ,लेकिन उनका दृढ़ संकल्प की एक दिन वह घर से बाहर निकल कर हर जरूरतमंद के लिए कुछ ना कुछ जरूर करेंगी, और वह समय भी आ गया दोनों बच्चों की शिक्षा पूर्ण हुई बेटा सौरभ मौर्य M.B.A. की पढ़ाई पूर्ण किया पढ़ाई और बेटी  श्रुति मौर्य की M.B.B.S.की शिक्षा जारी है, इसके साथ ही अब वह हर क्षेत्र में लोगों की मदद कर रही हैंl

चाहे वह शिक्षा हो, संस्कार हो निर्धन कन्या विवाह ,महिलाओं में आत्मरक्षा के गुण, नशा मुक्ति, गुड टच बैड टच ,महावारी मिथ्या और समाधान ,शुरू से ही मन में कुछ करने की इच्छा लिए उन्होंने फैशन की दुनिया में कदम रखा और बहुत बार फैशन शो में विजेता भी रही, मन में कुछ कर गुजरने की कोशिश ने उन्हें आज हर क्षेत्र में कामयाबी दी है वे सभी क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं शहर से दूर आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सहायता की बहुत ज्यादा जरूरत होती है वहां भी वह अपनी सेवाएं निरंतर देती रहती है ,अभी फिल हाल ही में उन्होंने निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण केंद्र खोला है जिसमें जो महिलाएं बाहर रोजी मजदूरी करती थी उनको भी निशुल्क सिलाई सिखा रही है ताकि आगे चलकर वह अपने पैरों में खड़े होकर आत्मनिर्भर बन सके और अपने घर में आमदनी का स्रोत बना सकें विगत कई सालों से वह सेवा क्षेत्र से जुड़ी जुड़ी हैंl

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