महिला स्व सहायता समूह की बहनों का नहीं होगा नुकसान बच्चे को भी मिलेंगे सुपोषण से भरपूर गुणवत्तापूर्ण आहार

रायपुर. रेडी टू ईट मामले में माननीय उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रेडी टू ईट मामले में बच्चों को गुणवत्ता युक्त तथा संतुलित न्यूट्रिशियन वैल्यू के साथ आहार मिले इस हेतु रेडी टू ईट के निर्माण की प्रक्रिया वैज्ञानिक होनी चाहिये। माननीय न्यायलय ने छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा रेडी टू ईट को बीज निगम के द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से मशीनों से निर्माण कराये जाने के निर्णय को सही ठहराया है। भाजपा के द्वारा रेडी टू ईट मामले में स्व सहायता समूह के बहनों को दिग्भ्रमित कर भ्रम फैलाकर झूठ बोलकर बरगलाने की कोशिश किया जा रहा था। माननीय न्यायालय के निर्णय से भाजपा के षड्यन्त झूठ फरेब का पर्दाफाश हो गया। रेडी टू ईट के सप्लाई कार्य महिला स्वसहायता समूह के बहनों के ही हाथ मे होगा उसकी एवज में मिलने वाली राशि यथावत रहेगी। छत्तीसगढ़ में कुपोषण के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है और बच्चों को गुणवत्ता युक्त पोषक आहार मिले सही मापदंड और हाइजेनिक मिले इसके लिए मानव रहित रेडी टू ईट निर्माण का निर्णय लिया गया था। जिसको माननीय न्यायालय ने सही ठहराया है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त करने के लिए कारगर एवं ठोस उपाय कर रही है आंगनबाड़ी एवं अन्य माध्यमों से बच्चों को सुपोषण से भरपूर गुणवत्ता युक्त आहार एवं स्वरुचि के अनुसार प्रोटींस विटामिंस अंडा दूध सोयाबीन की बड़ी एवं अन्य प्रकार के आहार उपलब्ध करा रही है। पूर्व की रमन सरकार ने तो रेडी टू ईट योजना में भारी भ्रष्टाचार किया था भाजपा से जुड़े लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए योजना में बड़ी घालमेल की जाती रही है इसका ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ में 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण एवं 42 प्रतिशत से अधिक महिलाएं एनीमिया से पीड़ित रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने 2 अक्टूबर गांधी जी की जयंती के दिन से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक के माध्यम से योजना शुरू कर राज्य को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त बनाने युद्ध स्तर पर काम किए जिसका परिणाम है कि राज्य में कुपोषण की दर में 19 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। राष्ट्रीय स्तर से कुपोषण के मामले में छत्तीसगढ़ 1 प्रतिशत नीचे है। देश के अन्य राज्यों में जहां कुपोषण की दरों में वृद्धि हुई है छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दरों में कमी आई है।

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