हसदेव बचाओ संघर्ष समिति का शहरवासियों ने किया समर्थन, भव्य रैली निकालकर सौंपा ज्ञापन

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में लगभग साढ़े चार लाख पेड़ काटे जा रहे है। हसदेव बचाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में रैली निकालकर शहरवासियों ने आरोप लगाया है कि कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाने के लिये सरकार पर्यावरण से छेड़छाड़ कर रही हैं। जिसका सीधा असर जल, जंगल, जमीन पर होगा। हसदेव अरण्य आंदोलन के साथ पूरा देश खड़ा हुआ है। इसी कड़ी में मंगलवार दोपहर भव्य रैली निकाली गई। इस रैली में शामिल होकर शहर के प्रबुद्ध नागरिक, शैक्षणिक व व्यापारिक संगठनों लोगों ने सरकार की नीति के खिलाफ जमकर हल्ला बोलते कलेक्टर कार्यालय में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है। हसदेव अरण्य में खनन परियोजना को निरस्त कराने आगामी 5 मई को बाइक रैली निकाली जायेगी।

मंगलवार शाम साढ़े चार बजे सैकड़ों की संख्या में लोग गोलबाजार मुख्य मार्ग होते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। लोगों ने जंगल की कटाई का विरोध करते हुए कहा कि संपूर्ण हसदेव अरण्य वन क्षेत्र मानसून को नियंत्रित करने के साथ ही यह बिलासपुर जैसे शहरों के जल स्त्रोत का केन्द्र है। चाहे भूमिगत जल हो या सतही जल हसदेव के खत्म हो जाने से जिले में गंभीर जल संकट पैदा हो जायेगा। इस महत्वपूर्ण पर्यावरणीय संवेदनशील वन क्षेत्र को खनन से मुक्त रखने के लिये स्वयं केन्द्रीय वन पर्यावरण एवं जल जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राज्य सरकार ने समय समय पर निर्णय भी लिये हैं।


वर्ष 2010 में केन्द्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन क्षेत्र की पर्यावरणीय संवेदनशीलता के कारण खान से मुक्त रखने हुए संपूर्ण हसदेव अरण्य को नो गो क्षेत्र घोषित किया था। यह क्षेत्र इस देश के कुल बेयरिंग क्षेत्र में मात्र 11 प्रतिशत थे। वर्ष 2014 मेें बनाई गई वायलेट इन वायलेट नीति जिसमें देश के कुल कोल बेयरिंग क्षेत्र का मात्र 7 प्रतिशत क्षेत्र ही इन वायलेट है। इसमें भी हसदेव के 20 में से 18 कोल ब्लॉक इन वायलेट हैं जिसमें परसा और केते एक्सटेंशन शामिल है। राज्य सरकार ने भी हसदेव क्षेत्र के 5 कोल ब्लाक को कमर्शियल नीलामी की सूची से बाहर करवाया।


पिछले एक दशक से हसदेव के आदिवासी अपने जल, जंगल, जमीन को बचाने संवैधानिक और लोकतांत्रित तरीके से आंदोलनरत हैं और हसदेव के साथ अब प्रदेश की जनभावन जुड़ चुकी है। यह पहली बार हुआ किसी आंदोलन ने अपने क्षेत्र की सीमाओं को तोड़ते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन हासिल किया है। शहर के लोगों ने मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि संघीय ढाचे में राज्य सरकार क ेपास समस्त अधिकार सुरक्षित है, जमीन पूर्णत: राज्य का विषय है और किसी भी परियोजना के लिये वन भूति के डायवर्सन का अंतिम निर्णय भी राज्य सरकार लेती है। जिस तरह से नंदराज पहाड़ की वन अनुमति को फर्जी ग्राम सभा साबित होने पर निरस्त किया गया है उसी प्रकार से हसदेव अरण्य की कोयला खनन परियोजना की वन अनुमति को निरस्त कर के राज्य सरकार हसदेव को बचा सकती है।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!