बाबा गुरु घासीदास की जयंती “मनखे-मनखे एक समान” को जीवन में उतारने का पवित्र अवसर

 

परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास  की जयंती मात्र एक औपचारिक उत्सव नहीं, बल्कि उनके अमर संदेश “मनखे-मनखे एक समान” को जीवन में उतारने का पवित्र अवसर है। यदि हम वास्तव में उनकी जयंती को सार्थक बनाना चाहते हैं, तो जैतखम्ब के सम्मुख माथा टेकने, झंडा, नारियल, फूल और अगरबत्ती चढ़ाने से आगे बढ़कर उनके अद्वितीय संघर्ष से प्रेरणा लेनी होगी – मानवता में समानता स्थापित करने और नशे जैसी कुरीतियों से मुक्ति दिलाने वाले उनके सत्य मार्ग पर अडिग रहने का दृढ़ संकल्प लेना होगा।

इस सत्य के मार्ग में अपार शक्ति निहित है, जिसका अनुभव मैंने अपने जीवन में बार-बार किया है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि छत्तीसगढ़ को सुखी, समृद्ध और सुरक्षित बनाने का सबसे प्रभावी उपाय प्रदेश को नशामुक्त करना है। यही बाबा गुरु घासीदास जी के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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