May 29, 2023

किसी तीर्थ से कम नहीं है भगत सिंह की कोठरी : प्रो. योगेश सिंह

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 कुलपति ने डीयू के तहखाने में दी शहीदों को श्रद्धांजलि 
नई दिल्ली. दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में स्थित भगत सिंह की कोठरी किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। प्रो. सिंह डीयू के वाइस रीगल लॉज के तहखाने में भगत सिंह की कोठरी में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के उपरांत संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व कुलपति ने शहीद दिवस के अवसर पर शहीदों के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की। कुलपति ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व और सम्मान की बात है कि भगत सिंह जैसी महान आत्मा के कदम दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में पड़े। गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय का कुलपति कार्यालय वाइस रीगल लॉज में ही स्थापित है।
कुलपति ने बताया कि 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंका था। इस मामले में उन्हें 12 जून 1929 को दोषी करार दिया गया। इसके साथ ही भगत सिंह को पंजाब की मियांवाली जेल भेजने का आदेश भी दिया गया था। पंजाब भेजे जाने से पहले उन्हें एक दिन के लिए वाइस रीगल लॉज के तहखाने में इस कोठरी में रखा गया था। कुलपति ने कहा कि यह कोठरी किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय ने इस कोठरी को शहीद भगत सिंह की स्मृति में संरक्षित रखा है। इस कक्ष में भगत सिंह से संबंधित एक पुस्तकालय भी स्थापित किया गया है, जिसमें शहीद भगत सिंह के लेखन और उन पर विद्वानों के अन्य कार्यों को भी प्रदर्शित किया गया है।
प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि शहादत के 92 वर्ष बाद भी देशभक्त युवा क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव और शहीद राजगुरु हमारे प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने बताया कि 23 मार्च 1931 को जब इन तीनों क्रांतिकारियों को फांसी दी गई तब भगत सिंह और सुखदेव की उम्र महज 23 साल और राजगुरु की उम्र महज 22 साल थी। उन्होंने कहा कि उन युवा क्रांतिकारियों ने जिस प्रकार कम उम्र में देश की आजादी के लिए अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया, वह हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। कुलपति ने सभी से आह्वान किया कि वे अपने राष्ट्र के प्रति सम्मान और श्रद्धा रखें और ऐसा कोई भी काम न करें जिससे देश के सम्मान को ठेस पहुंचे; यही उन महान शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर उनके साथ डीयू दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह, प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी, डीएसडब्ल्यू प्रो. पंकज अरोड़ा, डीयू के रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, शताब्दी समिति की समन्वयक प्रो. नीरा अग्निमित्रा, डॉ. दीप्ति तनेजा और डॉ. गुरप्रीत टुटेजा सहित प्रदीप कुमार, डॉ. रोहण राय, जयचंदा, मीनाक्षी सहाय, सुनील कुमार आदि भी उपस्थित थे।
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