पहाड़ी कोरवा की मौत पर भाजपा ओछी राजनीति कर रही है
रायपुर. पहाड़ी कोरवा राजू और उनके परिवार की मौत पर भाजपा स्तरहीन और झूठ की राजनीति कर रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा नेता राजभवन जाकर आरोप लगा रहे कि मृतक ने आर्थिक तंगी और भूख के कारण आत्महत्या किया। जबकि हकीकत यह है कि मृतक के पास पर्याप्त राशन आदि की व्यवस्था थी। भाजपा उनकी मौत पर राजनीति कर रही है। मृतक परिवार को सारी शासकीय योजनाओं का लाभ मिल रहा था। उनके पास राशन कार्ड भी था। आपसी विवाद और पारिवारिक क्लेश के कारण हुई घटना पर भाजपा घृणित राजनीति कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मृतक के परिवार का अंत्योदय राशन कार्ड बना था। जिसमें 19.03.2023 को अंतिम बार 35 किलो चावल निःशुल्क, 2 किलो नमक निःशुल्क, 2 किलो चना 10 रू. में मिला था। दोनों बच्चों का नाम आंगनबाड़ी केन्द्र में दर्ज था। दोनों रेडी टू ईट मिल रहा था। उनके परिवार का आयुष्मान कार्ड बना है। मनरेगा जाब कार्ड था जिसमें 6 मजदूरी कार्य दिवस की मजदूरी 23.03.2023 को खाता जमा हुई है। उसके नाम का 2018 में आवास तैयार था जिसमें वह निवासरत था। मनरेगा जाब कार्ड, आयुष्मान कार्ड, आंगन बाड़ी में दर्ज रिकार्ड के अनुसार मॉ और बच्चे कुपोषित श्रेणी के बाहर थे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि पहाड़ी कोरवा आत्महत्या की घटना पर भाजपा औछी राजनीति कर रही है। जांच के नाम से दुखी परिवार का मजाक उड़ा रही है एक ओर नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल कहते हैं की पहाड़ी कोरवा की आर्थिक माली हालत ठीक नहीं थी। दूसरी ओर भाजपा के ही वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय का बयान नारायण चंदेल के बयान के विपरीत आता है। नन्दकुमार साय ने कहा कि मृतक पहाड़ी कोरवा आर्थिक रूप से कमजोर नही था उसको सभी सरकारी योजना का लाभ मिल रहा था।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि घटना के दो दिन पहले मृतक ससुराल गया था। अपनी सास के लिये साड़ी और गिफ्ट लेकर गया था। जो व्यक्ति ससुराल में गिफ्ट लेकर गया था वह दो दिन बाद आर्थिक तंगी और भुखमरी के कारण सपरिवार आत्महत्या कर लेगा यह दावा भाजपा जैसे मानसिकता वाले लोग ही कर सकते है। मौतों पर राजनीति भाजपा का शगल हो गया है। मुद्दा विहीन भाजपा अब झूठ बोलकर भ्रम फैलाकर राजनीति करना चाह रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा नेता राजभवन गये राज्यपाल से मुलाकात की लेकिन उसी आदिवासियों के लिए भूपेश बघेल सरकार ने जो 32 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पास किया है जो बीते 5 महीने से राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने के चलते अटका हुआ उस संदर्भ में चर्चा नही की राज्यपाल से हस्ताक्षर करने की मांग भी नही किये। इससे समझ में आता है कि आदिवासी वर्ग की भविष्य की चिंता है। भाजपा को अपने राजनीतिक की चिंता नहीं है। भाजपा नेताओं में नैतिकता होती तो राजभवन में 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक के संदर्भ में भी चर्चा करते और राज्यपाल पर बिल में हस्ताक्षर करने दबाव बनाते।