BRICS : LAC पर तनाव के बीच पहली बार आमने-सामने होंगे PM मोदी और जिनपिंग


नई दिल्ली. लद्दाख में एलएसी पर चीन से तनातनी के बीच खबर है कि जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक दूसरे का आमना-सामना करेंगे. दोनों देश के प्रधान 17 नवंबर 2020 को होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में फेस टू फेस मिलेंगे. हालांकि दोनों शक्तिशाली नेताओं की यह मुलाकात वर्चुअल यानी ऑनलाइन होगी. साल 2014 से पीएम मोदी और जिनपिंग अब तक 18 बार एक दूसरे से मिल चुके हैं. इन 18 मुलाकातों में दो अनौपचारिक शिखर सम्मेलन भी शामिल हैं. एक अनौपचारिक शिखर सम्मेलन साल 2018 में वुहान में हुआ था और दूसरा 2019 में मामल्लपुरम में था.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मिलेंगे पीएम मोदी-जिनपिंग
अब दोनों देश की एलएसी पर जारी तनाव के बीच वर्चुअल मुलाकात होगी. दरअसल,  ये दोनों ही लीडर ब्रिक्स (BRICS) बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लेंगे. ब्रिक्स की इस मीटिंग में पीएम मोदी और शी जिनपिंग के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ब्राजील और साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति भी होंगे. LAC पर जारी गतिरोध के बीच पहला मौका होगा कि जब मोदी-जिनपिंग आमने-सामने सीधी बातचीत करते नजर आएंगे.

ब्रिक्स सम्मेलन के उद्देश्‍य
ब्रिक्स द्वारा दिए गए आधिकारिक बयान के अनुसार, ब्रिक्स देशों के नेताओं की बैठक का विषय ”वैश्विक स्थिरता (lobal Stability), साझा सुरक्षा (Shared Security), और अभिनव विकास ( Innovative Growth) है.”  2020 में रूस के ब्रिक्स की अध्यक्षता का मुख्य उद्देश्य, ब्रिक्स देशों के बीच बहुपक्षीय सहयोग है. लोगों के जीवन स्तर और जीवन स्तर को बढ़ाने में योगदान करना है. ब्रिक्स के बयान में कहा है कि ”इस साल 5 देशों ने तीन बड़े स्तंभों शांति और सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और वित्त, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान पर अपनी गहरी रणनीतिक साझेदारी जारी रखी है.”

हर चुनौती के लिए तैयार है भारत
यह ब्रिक्स सम्मेलन भारत और चीन के लिए अहम माना जा रहा है. गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में पांच महीने से गतिरोध बना हुआ है जिससे रिश्तों में दरार आई है. विवाद के सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ताएं की हैं लेकिन चीन हमेशा ही अड़ियल रवैया अपनाता रहा है लिहाजा गतिरोध को दूर करने में कोई कामयाबी नहीं मिली.

हालांकि भारत लद्दाख में किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं. भारतीय वायुसेना ने भी पूर्वी लद्दाख और वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे अन्य स्थानों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अपनी अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को पहले ही तैनात किए हैं.

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