चैतुरगढ़ : बिना ज्योति कलश के मनाया जा रहा है नवरात्रि का पर्व

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. कोरोना काल ने सब कुछ तबाह कर दिया है, धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है। इधर आस्था पर आधारित प्राचीन मंदिरों में भी शासन प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है। इसी कड़ी में चैतुरगढ़ स्थित मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर में ज्योति कलश के बिना ही पूजा अर्चना की जा रही है। धार्मिक व पर्यटन क्षेत्र होने के कारण मंदिर में लोगों का आना-जाना लगा हुआ है। मंदिर समिति का कहना है कि यहां मेला और भोग भंडारा बंद होने से श्रद्धालुओं में निराशा देखी जा रही है। बहरहाल नवरात्रि पर्व में श्रद्धालुओं दर्शन करने पहुुंच रहे हैं।


छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीर्थ स्थलों में प्रसिद्ध चैतुरगढ़ में मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर है। ऊंचे पहाड़ में स्थित मां की मंदिर का सातवी शताब्दी में वाण वंशीय राजा मल्लदेव ने निर्माण करवाया था। तब से लेकर आज तक इस प्राचीन मंदिर में दूर-दूर से लोग माता रानी का दर्शन करने आते हैं। पहाड़ की चोटी में स्थित मां की मंदिर के किनारे तालाब है यहां लोग स्नान कर दर्शन करते है। चारों ओर घने जंगल होने के कारण ज्यादातर लोग यहां रूकते नहीं है। मंदिर से चार किमी दूर पहाड़ के नीचे शंकरखोला गुफा है। यहां पहाड़ के अंदर सुरंग में शिवलिंग का दर्शन करने लोग आते हैं। बहुत ही कठिन रास्तों से होकर लोग इस शिवलिंग का दर्शन पाते हैं उन्हें घुटने के बल चलना पड़ता है। घने जंगल और पहाड़ों से घिरे इस मंदिर के आसपास कोई गांव भी नहीं है। मंदिर में पहुंचने वाले भक्तों की संख्या को देखते हुए मंदिर तक जाने के लिये पत्थरों को काटकर रास्ता बनाया गया है। मंदिर के पुराजी ने बताया कि जब से कोरोना लगा है तब से पब्लिक आना जाना बहुत कम हो गया है। नवरात्रि के प्रारंभ होते ही श्रद्धालुओं का आना जाना लगा हुआ है। संक्रमण के भय के कारण मेला नहीं लगाया गया है। इसी तरह भंडारा भी नहीं खोला गया है। ज्योति कलश नहीं जलने के कारण पब्लिक निराश हो रहे हैं।


मंदिर पहुंच मार्ग हुआ जर्जर
भारी बारिश के कारण मंदिर पहुंच मार्ग जर्जर हो गया है। पहले मंदिर परिसर तक वीआईपी लोगों को जाने की सुविधा दी जा रही थी लेकिन बारिश के कारण सड़क धंस गई है। पैदल चलने वालों के लिये भी खतरा बना हुआ है। धंस चुके जर्जर मार्ग को घेराबंदी की गई है। यहां से लोग पैदल ही निकल पा रहे हैं। दो पहिया व चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इसी तरह पहाड़ के कई हिस्से भारी बारिश के कारण ढ़ह गये हैं।


मेले पर भी लगाया गया है प्रतिबंध
चैतुरगढ़ में नवरात्रि पर्व के दौरान पहाड़ के ऊपर मेले का आयोजन किया जाता था। इस बार सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मेले पर प्रतिबंध लगाया गया है। मंदिर परिसर के आस पास प्रसाद व पूजा सामाग्री के अलावा खाने पीने के सामानों की दुकानें बंद है।


बिलासपुर से पहुंचे दर्शनार्थी
जूना बिलासपुर निवासी दिनेश शर्मा हर साल अपने 50-60 साथियों के साथ चैतुरगढ़ मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर दर्शन करने जाते हैं। विगत दो वर्षों से कोराना काल के कारण इनको भी दर्शन करने का मौका नहीं मिला। इस बार दिनेश शर्मा के नेतृत्व में सांदीपनी एकेडमी के बस में सवार होकर लगभग 30 लोगों का जत्था चैतुरगढ़ पहुंचा। जिनमें प्रमुख रूप से प्रमोद गुप्ता, महेश मानिकपुरी, भरत केंवट, बल्लू केंवट, बंटी मोदी आदि शामिल रहे।

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