
छत्रपति शिवाजी महाराज एक सांस्कृतिक व्यक्तित्व हैं : प्रो. उमेश कदम
वर्धा. शिव राज्याभिषेक दिवस के अवसर पर (6 जून) महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में ‘हिंदू पद-पादशाही:स्वराज का आधार’ विषय पर आयोजित विशिष्ट ऑनलाइन व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. उमेश अशोक कदम ने कहा कि सुराज और स्वराज्य की निर्मिति करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज एक सांस्कृतिक व्यक्तित्व हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने की. प्रो. कदम ने शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि शिवाजी महाराज ने लोक कल्याणकारी कार्य और स्वधर्म की स्थापना का बीड़ा उठाया था. उनका मानना था कि धर्म एक लोक कल्याणकारी संस्था है और इसे हम हिन्दू पद-पादशाही कह सकते हैं. शिवाजी महाराज ने अपने कार्यकाल में जनसामान्य को जोड़ने का काम किया. उन्होंने राज व्यवहार कोश तैयार किया और संस्कृत भाषा में व्यवहार का संकल्प लिया. देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए उनका अहम योगदान रहा है. प्रो. कदम ने कहा कि शिवाजी महाराज के विश्वव्यापी कार्य की सही पहचान हेतु भारत के इतिहास के मापदंडों की पुनर्व्याख्या करने की आवश्यकता है. अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि शिवाजी महाराज ने हिन्दू धर्म पद-पादशाही का संकल्प लिया और पूरा जीवन धर्म के लिए संघर्ष को समर्पित कर दिया. उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की दृष्टि में महाराष्ट्र की अर्थ व्यापकता पूरे भारत वर्ष में निहित है. हिंदुस्तान के लोगों के कल्याण को केंद्र में रखकर शिवाजी महाराज ने कर्तव्यों का सम्यक् निर्वहन करने वाली अष्टप्रधान व्यवस्था निर्माण की और समाज के अंतिम व्यक्ति तक अवसर, न्याय, विकास तथा कल्याण को सुनिश्चित किया. यही भारत की धर्मराज्य की मूल अवधारणा है. कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि 6 जून 1674 को शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था, यह दिन स्वधर्म, स्वत्व और स्वराज की पुनर्स्थापना का तथा सांस्कृतिक क्रांति का दिन है. प्रो. शुक्ल ने समर्थ रामदास स्वामी के अनेक उद्धरणों को उद्धृत करते हुए शिवाजी महाराज के संबंध में उनके दोहों की व्याख्या की. कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य संस्कृति विद्यापीठ के प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने दिया. कार्यक्रम के संयोजक तथा संचालन, दर्शन एवं संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डॉ. जयंत उपाध्याय ने किया तथा आभार सहायक अध्यापक डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय ने ज्ञापित किया. प्रारंभ में समाजकार्य विभाग के विद्यार्थी अश्वजीत जामगड़े ने शिवाजी महाराज पर पोवाड़ा प्रस्तुत किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ल, डॉ. चंद्रकांत रागीट सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में जुड़े रहे.