आजादी की क्रांति के नायक खुदी राम बोस एवं सामाजिक क्रांति की प्रणेता मिनी माता को कांग्रेसियों ने किया याद

बिलासपुर. अदम्य साहसी महान शहीद क्रांतिकारी खुदी राम बोस को शहादत दिवस एवं पूर्व सांसद महान समाज सेवी करुणा माता या मिनी माता को पुण्य तिथि पर कांग्रेसजनों ने याद कर श्रद्धाजंलि अर्पित की। कार्यक्रम के संयोजक सैय्यद जफर अली, कार्यक्रम के सभापति माधव चिन्तामन ओत्तलवार, योग आयोग के सदस्य रविन्द्र सिंह ने अपने उदबोधन में दोनों महान विभूतियों  का जीवन परिचय देते हुए कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ बालपन से ही विद्रोह का बिगुल फूंकने वाले महान राष्ट्रवादी खुदी राम बोस का जन्म 03 दिसम्बर 1889 को ग्राम बहुवैनि, जिला मिदनापुर, पश्चिम बंगाल के कायस्थ परिवार में हुआ था। पिता त्रैलोक्य नाथ बोस व माता लक्ष्मीप्रिया की यह महान राष्ट्रभक्त संतान नवमीं कक्षा की पढ़ाई के बाद ही आजादी की क्रांति के आंदोलन में कूद गया। महज 19 वर्ष से भी कम आयु में 11 अगस्त 1908 को श्री मद भगवद गीता को गले लगाकर फांसी पर हंसते हंसते झूल गए। मिनी माता की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सामाजिक क्रांति की प्रणेता, छत्तीसगढ़ राज्य स्वप्न दृष्टा प्रदेश की पहली महिला सांसद मीनाक्षी देवी जिन्हें करुणा माता या मिनी माता के नाम से जाना जाता है। छुआछूत, गरीबी, अशिक्षा तथा सामाजिक भेदभाव दूर करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पण करने वाली मिनी माता जन्म 1913 में असम में हुआ था। 11 अगस्त 1972 को विमान हादसे में मृत्यु तक 59 वर्षों के अपने जीवन काल में आपने देश और समाज के लिए अभूतपूर्व योगदान दिए। सेवानिवृत्त आई. ए. एस. रात्रे, पूर्व महापौर राजेश पांडेय, एस. पी. चतुर्वेदी, ब्लॉक अध्यक्ष विनोद साहू ने दोनों महान विभूतियों ने बचपन से जो संघर्ष और जमीनी विषमताओं का सामना किया उससे प्रेरणा लेकर समाज और देश के उत्थान के लिए अविस्मरणीय योगदान दिया। खुदीराम बोस खेलने कूदने और पढ़ने लिखने की उम्र बचपन  में ही आजादी के दीवानों में शामिल हो गए। वंदे मातरम के उदघोष के प्रचार प्रसार से लेकर बम और बारूद से अंग्रेजी हुकूमत पर हमले करने का अदम्य साहस रखने वाले खुदीराम बोस फांसी के पूर्व दोबारा पहले भी गिरफ्तार हुए थे लेकिन साक्ष्य के अभाव में और उनकी कम उम्र को देखते हुए उन्हें रिहा कर दिया गया था। गिरफ्तारियों और पुलिस की बर्बरता के बाद भी इन्होंने अंग्रेजी अफसर किंग्जफोर्ड की हत्या का प्रयास किया। 19 वर्ष से भी कम कम उम्र में श्रीमद्भगवद्गीता को सीने से लगाकर मुस्कुराते हुए फांसी पर भूल जाने वाले खुदीराम बोस ने ने पूरे देश में क्रांति की नई अलख जगाई। जिला प्रवक्ता अनिल सिंह चौहान, बृजेश साहू, हेमन्त दिघरस्कर, एम आई सी सदस्य  भरत कश्यप ने श्रद्धाजंलि सभा में कहा कि खुदीराम बोस की फांसी ने पूरे देश में आजादी की क्रांति को नया आयाम दिया विद्यार्थियों व अन्य लोगों ने इस शहादत का गहरा शोक मनाया। कई दिनों तक स्कूल कॉलेज नहीं खुलने दिए गए। बुनकरों ने ऐसी धोती बनाई जिसके किनारे पर खुदीराम लिखा होता था इस तरह की धोती का पूरे देश में चलन हो गया। खुदीराम बोस की शहादत का आजादी के आंदोलन में बहुत महती योगदान था। वक्ताओं ने मिनीमाता के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि छुआछूत, बाल विवाह, सती प्रथा, दहेज प्रथा, जाती पाती के भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ कानून बनाने में मिनी माता की महती भूमिका रही। छत्तीसगढ़ में बांगो डेम जैसे बांधो के निर्माण, सिंचाई के लिए नहरों की व्यवस्था से लेकर भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थानीय लोगों के रोजगार के लिए संघर्ष जैसे कई उल्लेखनीय कार्य किए। 1952 से 1972 तक आप लोकसभा के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में 05 बार लोकसभा में अलग अलग तीन क्षेत्रों से चुनी गयीं। छत्तीसगढ़ की विधानसभा का नामकरण भी मिनी माता के नाम पर हुआ है। कांग्रेसजनों ने अपने उदबोधन में खुदीराम बोस को क्रांति की मशाल व मिनी माता को करुणा की मिसाल बताते हुए दोनों महान विभूतियों को पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि आने वाली पीढियां जब तक इन महान विभूतियों इनके जीवन कृतित्व, संघर्ष, योगदान, समर्पण और त्याग को अध्ययन नहीं करेंगी तब तक देश में स्वस्थ व सांस्कारिक समाज का निर्माण असम्भव है। कार्यक्रम में सावित्री सोनी,  सुभाष ठाकुर, उत्तरा सक्सेना, त्रिभुवन कश्यप, गणेश रजक, सुभाष सराफ, आदि ने भी अपने विचार रखे। श्रद्घांजलि कार्यक्रम में शामिल प्रमुख कांग्रेसियों में एस. कपूर, मनोज शर्मा, राजकुमार यादव,  राजेंद्र सारथी, विष्णु कौशल, रामचंद्र क्षत्रिय, राजेंद्र शर्मा, विनय अग्रवाल, करम गोरख, भरत जुरियानी, अमृत आनंद, दुर्देशी धनकर, अतहर हुसैन, योगेंद्र देवांगन, राकेश बंजारे, पुनाराम कश्यप, महंत चेतन दास, उमेश वर्मा, सूर्यकांत साहू, आदि शामिल थे।

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