Covid-19: जरूरी नहीं बॉडी का टेंपरेचर चेक करने वाला इंफ्रारेड थर्मामीटर दिखाए सही रीडिंग, हो सकती हैं ये गड़बड़ियां

आज कल आसानी से इंफ्रारेड थर्मामीटर देखने को मिल जाते हैं। जहां एक तरफ इंफ्रारेड थर्मामीटर का प्रयोग तेजी से बढ़ा है वहीं इनके द्वारा मापा गया तापमान की प्रमाणिकता को लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।

यह साल अब खत्म होने वाला कुछ ही दिन शेष हैं। यह पूरा साल कोरोनावायरस के डर में बीता, लेकिन अब हालात धीरे-धीरे बेहतर हो रहे हैं। पिछले एक साल में पूरे विश्व में बहुत कुछ बदल गया। हमारे जीवन जीने की शैली, लोगों का आपस में व्यवहार और सबसे बड़ा परिवर्तन हमें अपने स्वास्थ्य पर देखने को मिला है। कोरोना काल में हमने बहुत से ऐसे इलेक्ट्रानिक गैजेट्स भी देखे जिन्हें शायद कुछ लोगों ने अपने जीवन में पहली बार देखा होगा। ऐसा ही एक मेडिकल इक्यूपमेट हैं इंफ्रारेड थर्मामीटर। आज से कुछ महीने पहले तक हम शरीर का तापमान मापने के लिए केवल सामान्य थर्मामीटर का प्रयोग करते थे लेकिन जब से कोरोना वायरस का कहर दुनिया में टूटा है जब से कॉन्टैक्ट लेस यानी एनसीआईटी थर्मामीटर का प्रचलन काफी बढ़ गया है।

ऑफिस हो, होटल हो, कॉर्पोरेट कंपनी हो या फिर स्कूल कॉलेज यहां तक कि हमें बस स्टॉप और रेलवे स्टेशन पर भी अब आसानी से इंफ्रारेड थर्मामीटर देखने को मिल जाते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए अब ज्यादा तक कॉन्टैक्ट लेस थर्मामीटर का ही प्रयोग किया जा रहा है। जहां एक तरफ इंफ्रारेड थर्मामीटर का प्रयोग तेजी से बढ़ा है वहीं इनके द्वारा मापा गया तापमान की प्रमाणिकता को लेकर कई तरह के सवाल भी अब उठने लगे हैं।

कई ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें इनके तापमान मापन को सही नहीं माना गया है। जॉन्स हॉपकिंस मेडिसिन और यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के एक रिसर्च रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभाव को रोकने के लिए प्रयोग किया जा रहा नॉन कॉनटैक्ट थर्मामीटर एक प्रभावी कदम नहीं है।

​तापमान लेने के लिए कितना सही है NCIT थर्मामीटर?

-ncit-

कोरोना वायरस काल में अमेरिकी की एक पब्लिक एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने शरीर के तापमान के लिए कई तरह के दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमे बताया गया है कि नार्मल थर्मामीटर में 100।0 डिग्री फ़ारेनहाइट जबकि, वहीं इंफ्रारेड यानी NCIT थर्मामीटर से कोरोना के लक्षण में बुखार का तापमान 100।4 डिग्री फ़ारेनहाइट निर्धारित किया गया है।

लेखक, विलियम राइट नॉन कॉन्टैक्ट थर्मामीटक के बारे में लिखते हैं कि इंफ्रारेड की रीडिंग को कई कारक प्रभावित करते हैं। उन्होंने लिखा कि जब इंफ्रारेड थर्मामीटर से तापमान लिया जाता है, तो यह माथे और उसके आस पास के वातारण के तापमान से भी प्रभावित होता है। इसके अलावा कई बार कॉन्टैक्ट न होने के कारण मनुष्य के ब्लड शेल्स की गर्मी माप पाना बहुत मुश्किल होता है।

शोधकर्ताओं ने कई रिपोर्ट भी दिए हैं जिनके माध्यम से बाताय गया है कि संक्रमण से बचाव के लिए कॉन्टैक्ट लेस स्क्रीनिंग विफल रहता है। एक रिपोर्ट में यह बताया गया कि 23 फरवरी, 2020 तक यूएस हवाई अड्डे पर 46000 लोगों की स्क्रीनिंग की गई थी लेकिन इनमें से केवल एक व्यक्ति के SARS-CoV-2 से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी।

एक रिपोर्ट में कहा गया कि 17 जनवरी से 13 सितंबर, 2020 तक की अवधि के दौरान लगभग 766,000 यात्रियों की स्क्रीनिंग हुई जिसमें 85 हजार लोगों में सिर्फ 0।001 % लोग ही SARS-CoV-2 से इंफेक्टेड पाए गए।

​अलग अलग तापमान दिखाते हैं इंफ्रारेड थर्मामीटर

विलियम राइट ने लिखा कि इंफ्रारेड थर्मामीटर कई तरह से अलग अलग तापमान दिखाते है जिससे हमेशा ही संशय की स्थिति बनी रहती है कि आखिरकार व्यक्ति को बुखार है या नहीं।

उन्होंने समझाते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा कि जब किसी में बुखार बढ़ता है, तो उस दौरान रक्त कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं और उनसे गर्मी बाहर नहीं निकलती और ऐसी स्थिति में जब इंफ्रारेड थर्मामीट से तापमान लिया जाता है तो वह सिर्फ माथे और स्किन के तापमान को मापता है।

राइट के अलावा कई ऐसी भी रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह बताया गया है कि एक ही समय में अलग अलग संपर्क रहित थर्मामीटर का प्रयोग करने पर शरीर का तापमान अलग अलग मिलता है।

अंत में विलियम राइट ने यह निष्कर्ष निकाला कि SARS-CoV-2 से बचाव और संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए थर्मल स्क्रीनिंग और इंफ्रारेड थर्मामीटर गन्स का प्रयोग ज्यादा प्रभावी नहीं है इसलिए हमें संक्रमण से बचने के लिए और दूसरे कदम उठाने की जरूरत है।

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