जम्मू-कश्मीर में बंधक बनाए गए मजदूरों करे रिहा कराने की मांग
बिलासपुर/अनिश गंधर्व. जम्मू- कश्मीर में बंधक बनाए मजदूरों को रिहा कराने परिजनों ने प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाई है। लगभग 50 लोगों को जम्मू- कश्मीर के राजौली जिले सरानु गांव में बंधक बनाकर रखा गया है। इस मामले में जांच पड़ताल शुरू होते ही ईंट भट्टा के संचालक द्वारा बंधक मजदूरों से कोरे स्टांप पेपर में हस्ताक्षर लेकर धमकी-चमकी दे रहा है उन्हें अन्य स्थान में भेजने की धमकी भी जा रही है।
सक्ती और जांजगीर के मजदूरों और उनके परिजनों को ईंट भट्ठे के मालिक द्वारा बंधक बनाया गया है। बंधक बने इन 50 लोगों रिहा कराने का आवेदन केन्द्रीय और राज्य शासन के जिम्मेदार विभाग को दी गई है। बिलासपुर कमिश्नर कार्यालय, जांजगीर चांपा जिला की कलेक्टर और केन्द्रीय श्रम विभाग ने मामले को जांच में लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है। बंधक मजदूर अधिनियम के तहत पीडि़तों की सहायता करने के लिए 24 घंटे में टीम का गठन कर उन्हें रिहा कराया जाता है और मौके पर ही उन्हें आर्थिक मदद भी की जाती है। सकुशल वापसी होने के बाद प्रशासन द्वारा उन्हें पुर्नविस्थापन के लिए भी आर्थिक सहायता की जाती है। किंतु प्रशासनिक काम काज के चलते इस मामले में पत्राचार किया जा रहा है। उधर बंधक मजदूरों के लिए एक-एक दिन एक साल जैसा हो गया है। सोशल मीडिया में सूचना और लिखित शिकायत के आधार पर जांजगीर-चांपा जिले के श्रमपदाधिकारी और कलेक्टर ने जांच कार्रवाई शुरू की है। जबकि मामले की शिकायत संभागीय कमिश्नर कार्यालय में भी की गई है। जिन मजदूरों को बंधक बनाया गया है उन्हें दूसरे देश में बेचने की धमकी देने वाला ईंट भट्ठा संचालक द्वारा उन्हें सख्त पहरे में रखा गया है।
ईंट भट्ठा संचालक और उसके पता ठिकाने सब कुछ आवेदन में दर्शाया गया है। जहां उन्हें बंधक बनाकर रखा गया है वहां वीडियो भी पीडि़तों ने भेजा है। इस मामले को संज्ञान में लिया गया है। किंतु प्रशासनिक लेट-लतीफी के कारण बंधक मजदूरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जनहित में जांजगीर-चांपा और सक्ती जिला प्रशासन द्वारा ठोस कार्रवाई करते हुए पीडि़तों की मदद करने की आवश्यकता है।