सख्त नियमों के बाद भी आरटीओ कार्यालय में चल रहा दलालों का राज
बिलासपुर/अनिश गंधर्व. क्षेत्रिय परिवहन कार्यालय आज भी दलालों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। सख्त नियमों के बाद भी दो पहिया, चार पहिया सहित समस्त वाहन मालिकों को दलालों के माध्यम से काम कराने की मजबूरी बनी हुई है। हालात इतने बेकाबू हो गये हैं कि मुख्य अधिकारी दफ्तर का सारा काम घर से करते हैं। रोजाना फाइलों को साहब के घर पहुंचा दिया जाता है। सप्ताह में एक या दो बार ही अधिकारी अपने चेम्बर में बैठते हैं। आरटीओ कार्यालय में पहुंचने से पहले ही सड़क पर प्रयागराज के पंडों की तरह दलाल लोगों को अपने चंगुल में ले लेते हैं। सारे काम का रेट फिक्स है इसलिये लोग ज्यादा झंझट नहीं करते दलाल के ही माध्यम से काम कराना पसंद करते हैं। एक ओर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि परिवहन विभाग द्वारा अभिकर्ता (दलाल), वकील व प्रतिनिधि नियुक्ति नहीं किया जाता। कोई भी व्यक्ति अगर दलालों से सौदा करता है तो इसके लिए विभाग जिम्मेदार नहीं है। इसके बावजूद दलालों का बड़ा गिरोह आरटीओ दफ्तर में लगभग 30 सालों सक्रिय हैं। यहां तैनात दलाल जो दो नंबर के काम में इतने माहिर है कि जेल से छूटने के बाद फिर से आरटीओ कार्यालय में उल्टे-सीधे कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
शहर के लगे ग्राम लगरा में क्षेत्रिय परिवहन कार्यालय का दफ्तर खोला गया है। विभाग में अधिकांश काम ऑनलाइन पद्धति से चलता है इसके बाद भी दलालों का एक बड़ा गिरोह इस दफ्तर में व्यस्त अधिकारियों की तरह काम काज कर रहे हैं। लाइसेंस, नामांतरण और वाहनों के फिटनेस का काम दलालों के बिना होना संभव नहीं हैं। क्योंकि जिम्मेदार अधिकारियों को काम के हिसाब से राशि मुहैया कराने का काम दलाल ही करते हैं। आम लोग अगर सीधे अधिकारी से मिले और अधिकारी उनका काम प्रक्रिया पूर्वक करे तो दलालों की यहां कोई जरूरत नहीं है। लेकिन अधिकारी ही नहीं चाहते हैं कि उनकी दुकान में कोई फरियादी आये और बिना शुल्क दिये चला जाये इसलिये अधिकारी दलाल गिरोह को संरक्षित करते चले आ रहे हैं।
जब्त वाहनों में उग गए पेड़
आरटीओ कार्यालय के काम-काज में सख्त नियम कायदों का पालन करना अनिवार्य है। जब्त वाहनों को तय नियम के अनुसार छुड़ाने की लंबी प्रक्रिया है और जुर्माने का भी प्रावधान है। कई लोग तो अपने वाहनों को छुड़ा भी नहीं पाते। आरटीओ कार्यालय में जब्त गाडिय़ां कबाड़ के रूप में बदल चुकी है और पेड़ पौधे भी उग आये हैं। इधर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हम जटिल प्रक्रिया के चलते जब्त वाहनों की नीलामी भी नहीं करा पाते।
आपस में भीड़ जाते हैं दलाल
आरटीओ कार्यालय में घूमने वाले दलाल आपस में भीड़ जाते हैं, इनके बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है। मुख्य अधिकारी से करीबी संबंध रखने वाले दलाल अन्य दलालों के कार्यों में भी दखल देतें है जिसके चलते यहां आये दिन विवाद भी होती है।
कई दलाल खा चुके हैं जेल की हवा
आरटीओ कार्यालय में उल्टे सीधे काम करने के मामले में कई दलालों के खिलाफ अपराध भी दर्ज हो चुका है, वे लोग जेल की हवा भी खा चुके हैं। जेल से छूटने के बाद फिर से आरटीओ कार्यालय में अपनी दुकानदारी चलाते हैं। इसके बाद भी जिला प्रशासन द्वारा सरकारी कार्यालयों में सक्रिय दलाल गिरोह पर कार्यवाही नहीं की जाती।
स्टीकर लगाना हुआ अनिवार्य
आरटीओ कार्यालय में फिटनेस जांच कराने वाहन मालिकों से मोटी राशि वसूली जाती है जबकि इन वाहन धारियों को तय दिनांक पर ही जांच कराना होता है। लंबी प्रक्रिया के चलते लोग पैसे देकर ही अपना काम कराते हैं। रात के अंधेरे में सड़क दुर्घटना रोकने नये नियम के अनुसार वाहन धारियों को कोड स्टीकर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसकी अतिरिक्त शुल्क वाहन मालिक चुका रहे हैं।