वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी ऐसे लोगों पर मंडराता रहेगा हमेशा खतरा, जानें सभी सवालों के जवाब
क्या आप भी ऐसे मामले सुन रहे हैं, जहां वैक्सीनेशन के बाद भी लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो रहे हैं। अगर हां तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों लोग वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमित हो रहे हैं।
कोरोना वायरस से निपटने के लिए दुनियाभर की सरकार हर संभव कोशिश करती दिखाई दे रही है। लेकिन फिर भी डेल्टा वेरिएंट बहुत तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। वहीं पूरे विश्व में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया बहुत जोरो शोरो से चल रहा है। लेकिन इसके बावजूद कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां लोगों ने कोरोना की वैक्सीन ले ली है। लेकिन इसके बावजूद बहुत से व्यक्ति वायरस से संक्रमित हो रहे हैं।
हालांकि यह मामले बेहद कम हैं और इस पर वैज्ञानिक भी यही कह रहे हैं कि अभी इसके बारे में बहुत कुछ जानना बाकी है। इसके अलावा ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना वायरस से दो बार संक्रमित हो चुके हैं, भले ही दूसरी बार वायरस इन्हें इतना परेशान ना कर पाया हो। इस स्थिति में तो यह भी नहीं कहा जा सकता कि कौन संक्रमित होगा और नहीं। कोरोना को लेकर अब कई सवाल हैं जो बढ़ते मामलों के साथ सामने आ रहे हैं। आइए जानते हैं इन सवालों को और इनके जवाबों को।
साथ ही वैक्सीनेशन के बाद स्थिति को सामान्य मानकर लोग अब बाहर निकलने लगे हैं। जिसकी वजह से भी कोरोना संक्रमण के मामले अधिक होते जा रहे हैं। हालांकि राहत की खबर यह है कि, वैक्सीनेशन लिए हुए लोगों के संक्रमण की दर अभी ना के बराबर ही है।
क्या वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण गंभीर हो जाते हैं
जिन्हें वैक्सीन के दोनो डोज दिए गए थे। इनमें से 27 प्रतिशत लोगों को बहुत ही कम लक्षण दिखाई दिए थे। इसके अलावा ऐसे कई लोग थे जो संक्रमित कब हुए पता भी नहीं चला। वहीं केवल 10 प्रतिशत लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आई और केवल दो प्रतिशत से भी कम लोगों पर जान जाने का खतरा दिखाई दिया।
इस रिसर्च में यह भी पता चला है कि जिन लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज दिए गए हैं। इनके फेफड़ों में कोरोना संक्रमण के दौरान बेहद हल्का वायरल लोड पाया गया है।
लेकिन ध्यान रहे यह लक्षण केवल उन लोगों पर दिखाई दिए हैं जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज मिले हुए 14 से 20 दिन बीत चुके हों। ऐसे लोग जिन्हें वैक्सीन लिए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ या जिन्होंने केवल एक ही डोज लिया है, उनके संक्रमित होने पर स्थिति बिगड़ सकती है।
ऐसा केवल एक दो देशों में नहीं बल्कि पूरे विश्व में हो रहा है। वह भी उन महिलाओं के साथ यह अधिक हो रहा है, जो या तो फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं या फिर उन्हें जो हेल्थ सेक्टर में ही काम कर रही हैं। यही नहीं एक हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि पुरुष की तुलना में महिलाओं को ही वायरस एक से अधिक बार प्रभावित कर पा रहा है।
वहीं कोरोना का डेल्टा वेरिएंट ना केवल तेजी से फैल रहा है। बल्कि यह अधिक शक्तिशाली भी है। हालांकि ऐसे में वैक्सीनेशन अधिक प्रभावी होता है और वायरस के खिलाफ काम करता है। लेकिन वायरस के अधिक शक्तिशाली होने की वजह से यह एंटीबॉडी को भी पार कर लेता है। इसके अलावा वैक्सीन लगवाने के बाद सुरक्षा और जरूरी बातों का ध्यान न रखने की वजह से भी वैक्सीन का असर कम हो सकता है।