Facebook भी अब करेगा सुनवाई, आपत्तिजनक कंटेंट के लिए बनाया खुद का ‘सुप्रीम कोर्ट’


कैलिफोर्निया. फेसबुक (Facebook) ने अपना खुद का ‘सुप्रीम कोर्ट’ बना लिया है. फेसबुक ने बुधवार को एक ‘ओवरसाइट बोर्ड’ बना लेने की घोषणा की. जो बिलकुल ‘सुप्रीम कोर्ट’ की तरह काम करेगा. ये बोर्ड ‘फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन’ और ह्यूमन राइट्स के आधार पर फैसले लेगा.

इसका मकसद इंस्टाग्राम और फेसबुक पर कंटेंट पॉलिसी को मॉडरेट करना और इससे जुड़े फैसले लेना होगा. इससे कंटेंट को सुधारने और सोशल मीडिया पर साफ-सुथरा माहौल रखने की कोशिश कहा जा सकता है.

इंस्टाग्राम पर ‘Bois Locker Room’ जैसे ग्रुप में अश्लीलता फैलने का मुद्दा फिलहाल भारत मे चल ही रहा है और उसी समय यह बोर्ड भी सामने आया है. हालांकि इसकी योजना फेसबुक पहले ही बना चुका था.

यह ओवर साइटबोर्ड फैसले लेगा कि किस तरह का कंटेंट फेसबुक और इंस्टाग्राम पर रह सकता है और किस तरह के कंटेंट को हटाने की जरूरत है. ये बोर्ड ‘फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन’ और ‘ह्यूमन राइट्स’ के आधार पर फैसले लेगा.

अब फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पोस्ट, पेज, प्रोफाइल, ग्रुप और यहां तक कि विज्ञापनों के बारे में विवादों की देख-रेख अब इस ओवरसाइट बोर्ड के हाथ में होगी. दुनियाभर के मुद्दों के लिए 20 खास लोगों को नियुक्त किया गया है.

बोर्ड उन मुद्दों को शामिल करने का प्रयास करेगा जो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करते हैं. पब्लिक में सबके सामने दिखने वाले कंटेंट से जुड़ी चीजें और यूजर की पोस्ट, पेज, प्रोफाइल और ग्रुप से जुड़े मुद्दों पर भी सुनवाई करेगा.

बोर्ड फेसबुक द्वारा लिए गए फैसलों को भी पलट सकता है और सभी मामलों पर अंतिम सुनवाई करेगा. यूजर और फेसबुक दोनों बोर्ड के मामलों का उपयोग कर सकते हैं लेकिन कौन से मामले उठाए जाएंगे वो बोर्ड के विवेक पर निर्भर करेगा.

इसकी अपनी खुद की यूजर फेसिंग वेबसाइट होगी, जिस पर शिकायत या विवाद दर्ज हो पाएगा. फेसबुक के पास सीमित मामलों को बोर्ड को भेजने की शक्ति है और मामलों को अनदेखा करने का अधिकार नहीं है. बोर्ड के पास निर्णय लेने के लिए बाहरी एक्सपर्ट से मदद लेने का भी विकल्प होगा.

यह फेसबुक की मौजूदा पॉलिसी के साथ इस पर आने वाले सभी तरह के कंटेंट से जुड़ी गतिविधियों का ध्यान भी रखेगा, चाहे वो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) हो, अल्गोरिथम हो या ह्यूमन मॉडरेटर हो. यदि इनमें से किसी में भी निर्णय से कोई विवाद होता है, तो मामला बोर्ड को दिया जाएगा.

बोर्ड के पास अधिकतम 90 दिन होंगे लेकिन यह तेजी से निर्णय भी ले सकता है. बोर्ड सरकार की किसी पॉलिसी में नहीं बोल पाएगा. इस 20 लोगों के ओवर साइटबोर्ड में 9 कानून के प्राध्यापक, यमन के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, पत्रकार, स्वतंत्र भाषण अधिवक्ता और मुक्तिवादी काटो संस्थान के एक लेखक शामिल हैं. फिलहाल ये फसबुक और इंस्टाग्राम के लिए शुरू होगा. लेकिन आगे चलकर फेसबुक इसे अपने अन्य प्लेटफार्म्स जैसे व्हाट्सएप और बाकी सर्विसेस के लिए पर भी बढ़ा सकता है.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!