किसान संगठनों ने कहा-जारी रहेगा किसान आंदोलन, 26 को देशव्यापी आंदोलन, समर्थन मूल्य देने का कानून बनाओ
संयुक्त किसान मोर्चा और किसान संघर्ष समन्वय समिति से संबद्ध 25 से ज्यादा किसान संगठनों के संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार द्वारा काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा का स्वागत किया है, लेकिन वापसी के लिए संसदीय प्रक्रिया के पूर्ण होने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनने और बिजली कानून में प्रस्तावित संशोधन वापस लेने तक आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम तथा छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने कहा है कि काले किसान विरोधी कानूनों की वापसी के लिए संसद का विशेष अधिवेशन बुलाया जाना चाहिए। लेकिन इसके साथ ही सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने का कानून बनाने और बिजली संशोधन बिल को वापस लेने के बारे में भी अपना रुख साफ करना चाहिए, क्योंकि देशव्यापी किसान आंदोलन की यह प्रमुख मांग है। किसान नेताओं ने कहा है कि काले कानूनों की वापसी की घोषणा इस देश के किसानों के अहिंसक सत्याग्रह और लोकतंत्र की जीत है, जिसे संघी गिरोह अपने फासीवादी षड़यंत्रों से कुचलना चाहता है। ये कानून संसदीय प्रक्रिया का उल्लंघन करके और लोकतांत्रिक मान-मर्यादा को कुचलकर बनाये गए थे और इसलिए इन कानूनों के पीछे देश की बहुमत जनता का बल नहीं था।
इस देशव्यापी आंदोलन में लगभग 800 किसानों की शहादत के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं ने इन शहीद किसानों के परिवारों के पुनर्वास और उन्हें मुआवजा देने की भी मांग की है।
पराते ने स्पष्ट किया है कि 26 नवम्बर को प्रस्तावित देशव्यापी आंदोलन को कानून वापसी की घोषणा से और बल मिला है। छत्तीसगढ़ में अब किसान आंदोलन और ज्यादा ताकत से विकसित होगा।
(छत्तीसगढ़ किसान आन्दोलन की ओर से सुदेश टीकम, संजय पराते (मो : 094242-31650), आलोक शुक्ला, रमाकांत बंजारे, नंदकुमार कश्यप, आनंद मिश्रा, दीपक साहू, जिला किसान संघ (राजनांदगांव), छत्तीसगढ़ किसान सभा, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (कोरबा, सरगुजा), किसान संघर्ष समिति (कुरूद), आदिवासी महासभा (बस्तर), दलित-आदिवासी मजदूर संगठन (रायगढ़), दलित-आदिवासी मंच (सोनाखान), भारत जन आन्दोलन, गाँव गणराज्य अभियान (सरगुजा), आदिवासी जन वन अधिकार मंच (कांकेर), पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति (बंगोली, रायपुर), उद्योग प्रभावित किसान संघ (बलौदाबाजार), रिछारिया केम्पेन, आदिवासी एकता महासभा (आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच), छत्तीसगढ़ प्रदेश किसान सभा, छत्तीसगढ़ किसान महासभा, परलकोट किसान कल्याण संघ, अखिल भारतीय किसान-खेत मजदूर संगठन, वनाधिकार संघर्ष समिति (धमतरी), आंचलिक किसान संघ (सरिया) आदि संगठनों की ओर से जारी संयुक्त विज्ञप्ति)
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