मछुआरों ने खोजा ‘सोने का द्वीप’, मिला अरबों का खजाना; जानें क्या है भारत से संबंध

नई दिल्ली. आपने कहानियों में सुना होगा होगा कि कई जगहों पर सोने के खजाने होते हैं. लेकिन असल सच्चाई में ऐसा बहुत ही कम होता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इंडोनेशिया में कुछ मछुआरों ने ‘सोने के द्वीप’ की खोज की है. पिछले पांच सालों से मछुआरे खजाने की तलाश में थे और आखिरकार उन्होंने सोने का द्वीप खोज लिया जहां खूब सारा खजाना है.

5 सालों से कर रहे थे तलाश

इंडोनेशिया के बारे में अक्सर दावा किया जाता रहा है कि वहां खजाना है. इस वजह से पिछले 5 सालों से पालेमबांग के पास मुसी नदी की खोज मछुआरे कर रहे थे, जिसमें भारी संख्या में मगरमच्छ रहते हैं. जब मछुआरों को बेहद दुर्लभ खजाने से भरा द्वीप मिला तो उनके होश उड़ गए. इस द्वीप को ‘सोने का द्वीप’ नाम दे दिया. यहां बेशकीमती रत्न, सोने की अंगूठियां, सिक्के और कांस्य भिक्षुओं की घंटियां मिली हैं. इसके अलावा यहां से अब तक की सबसे अविश्वसनीय खोजों में से एक 8वीं शताब्दी की एक गहना से सजी बुद्ध की आदमकद प्रतिमा भी मिली है, जिसकी कीमत लाखों पाउंड है.

रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था राज्य

खबर के मुताबिक ये कलाकृतियां श्रीविजय सभ्यता के समय की हैं. श्रीविजय साम्राज्य 7वीं और 13वीं शताब्दी के बीच एक शक्तिशाली साम्राज्य हुआ करता था. एक सदी के बाद ये रहस्यमय तरीके से गायब हो गया. आपको बता दें कि इस साम्राज्य का भारत के साथ काफी करीबी रिश्ता है. ब्रिटिश समुद्री पुरातत्वविद् डॉ. सीन किंग्सले के अनुसार ये साम्राज्य ‘जल वर्ल्ड’ हुआ करता था. यहां के लोग आजकल की तरह लकड़ी की नाव बनाते थे और उनका इस्तेमाल किया करते थे. इसके अलावा कुछ लोगों ने अपने घर भी नाव पर बनाए थे. जब ये सभ्यता खत्म हो गई तो उनके लकड़ी के घर, महल और मंदिर भी उनके साथ डूब गए.

काल्पनिक नहीं था श्रीविजया साम्राज्य 

डॉ सीन किंग्सले ने कहा कि, श्रीविजया साम्राज्य के बारे में सबसे खास बात ये रही कि इस साम्राज्य ने अपने रहस्यों को पूरी तरह से छिपाकर रखा हुआ था. उन्होंने कहा कि, इस साम्राज्य की राजधानी में 20 हजार से ज्यादा सैनिक रहते थे. इसके अलावा वहां भारी तादाद में बौद्धभिक्षु भी रहते थे. इस सभ्यता की खोज के लिए अलग अलग टीमों ने थाइलैंड से लेकर भारत तक मुहिम चलाई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. ये साम्राज्य धरती का आखिरी साम्राज्य था और फिर ये अचानक गायब हो गया. उन्होंने कहा कि, पिछले पांच सालों में असाधारण चीजें सामने आ रही हैं. सभी काल के सिक्के, सोने और बौद्ध मूर्तियां मिल रही हैं. यहां से कई तरह के बहुमूल्य रत्न मिले हैं, जिसके बारे में नाविक सिनाबाद में लिखा गया है. ये इस बात का सबूत है कि श्रीविजया साम्राज्य काल्पनिक नहीं था.

भारत से था करीबी संबंध

किंग्सले ने कहा कि यहां से पुराने बर्तन और उस समय के धूपदान मिले हैं जो ये बताते हैं कि उस वक्त के लोगों ने कितनी तरक्की कर ली थी. भारत, फारस और चीन के बड़े भट्ठों से उस समय के बेहतरीन टेबल वेयर का सामान आयात किया जाता था. उन्होंने कहा कि, श्रीविजया काल में कांस्य और सोने की बौद्ध मूर्तियों के मंदिर हुआ करते थे. इसके अलावा यहां से राहु के सिर की प्रतिमा भी मिली है. इसे हिन्दू मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन की कथाओं से जोड़ा जाता है. इसके अलावा यहां से तमाम ऐसी कलाकृतियां मिलती हैं जो सीधे तौर पर भारत और हिंदू मान्यताओं से जुड़ी है.

ऐसे हुआ पतन

एक रिसर्च से ये अनुमान लगाया गया है कि, श्रीविजया साम्राज्य की राजधानी में करीब 20 हजार सैनिक, एक हजार बौद्धभिक्षु और करीब 800 साहूकार रहते थे और इससे अनुमान लगता है कि जनसंख्या भी प्रभावशाली रही होगी. इस साम्राज्य का पतन कैसे हुआ इसका किसी के पास ठोस सबूत नहीं है. डॉ. किंग्सले ने अनुमान लगाया है की इंडोनेशिया के ज्वालामुखियों का शिकार ये राज्य हो गया था. इसके साथ ही ये भी अनुमान लगाया जाता है की नदी में आई भीषण बाढ़ की वजह से इस साम्राज्य पतन हो गया हो.

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